आषाढ़ नवरात्र तीन जुलाई से शुरू हो रहा है। इसे गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है। इस दौरान मंदिरों में श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ किया जाएगा। गुप्त नवरात्र के दौरान साधक तंत्र विद्या व विशेष सिद्धी करते हैं।
कई साधक बरारी घाट व भूतनाथ मंदिर के पास विशेष साधना करने पहुंचते हैं। इस संबंध में पंडित आरके चौधरी उर्फ बाबा भागलपुर ने बताया कि साल में माघ, चैत, आषाढ़ व आश्विन माह में नवरात्र मनाने की परंपरा है।
उन्होंने बताया कि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक माता जगदम्बा की पूजा-अर्चना औँर व्रत विशेष प्रभावी और फलदायी होते हैं। ज्ञान मार्ग, तंत्र मार्ग, शक्ति साधना, हनुमान व महाकाल आदि से संबंधित साधकों के लिए यह नवरात्र विशेष महत्व रखता है। इस दौरान साधक बेहद कड़े नियम व हठ योग के साथ साधना करते हैं और दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
उन्होंने बताया कि साधक 11 जुलाई को दशमी तिथि के प्रवेश के बाद अपना व्रत तोड़ेंगे। पहले दिन कलश स्थापना के साथ मां जगदंबा की पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी। श्रद्धालुओं को अष्टमी व नवमी तिथि को हवन करने के बाद कन्या भोज एवं पूजन के साथ नवरात्र व्रत का समापन करना चाहिए। वही संकट मोचन दरबार के पुजारी चंद्रशेखर झा ने बताया कि मंदिर में प्रत्येक दिन पाठ होगा।