ब्रह्मपुरा थाना के पमरिया टोला निवासी राजन साह की छह वर्षीया पुत्री खुशी के अपहरण कांड में शुक्रवार को दो लोगों की पॉलीग्राफी जांच की गई। जांच के लिए दिल्ली सेंट्रल एफएसएल की टीम शहर आयी थी। इस कांड में जेल में बंद आरोपित अमन कुमार और शक के दायरे में रहे लकड़ीढाई मोहल्ला के राहुल कुमार की पॉलीग्राफी जांच हुई। शहर के एक होटल के कमरे में दोनों की जांच की गई। टीम ने रिपोर्ट सौंप दी है। दोनों की सहमति पर कोर्ट से जांच कराने की पुलिस ने अनुमति ली थी।
पुलिस को शक था कि दोनों खुशी के गायब होने के मामले में कुछ जान रहे हैं, लेकिन पुलिस नहीं बता रहे हैं। पुलिस ने खुशी के पिता की भी पोलीग्राफी जांच कराने के लिए नोटिस भेजा था, लेकिन उन्होंने पॉलीग्राफी जांच कराने से इंकार कर दिया था। बता दें कि खुशी का अपहरण बीते साल सरस्वती पूजा पंडाल से हो गया था। वह शाम के वक्त पंडाल में खेल रही थी और अचानक गायब हो गई। अगले दिन ब्रह्मपुरा थाने में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
अब सीबीआई जांच का हो सकता है आदेश
एसएसपी जयंतकांत ने बताया कि पॉलीग्राफी जांच करने वाली टीम ने खुशी के संबंध में स्पष्ट सुराग नहीं बताया है। बता दें कि इस अपहरण कांड में हाईकोर्ट लगातार पुलिस से जवाब मांग रहा था कि क्यों नहीं इस कांड को सीबीआई को सौंप दिया जाए। पॉलीग्राफी जांच में स्पष्ट सुराग नहीं मिलने पर पुलिस की ओर से हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करना होगा।
पुलिस की लेटलतीफी के खिलाफ गए कोर्ट
कांड में पुलिस एक साल बीतने के बाद भी जब कोई सुराग नहीं ढ़ूंढ सकी तो परिजनों का धैर्य जवाब दे दिया। पिता राजन साह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट ने एक संदिग्ध के बयान में साक्ष्य होने के बाद भी जांच व कार्रवाई नहीं करने पर सवाल उठाया था।
पुलिस ने दूसरे फुटेज पर नहीं दिया ध्यान
पुलिस ने खुशी के गायब होने के बाद पूजा पंडाल में लगे सीसीटीवी का फुटेज खंगाला था। इसमें बच्ची को एक महिला के साथ जाते देखा गया था। इस फुटेज में पहचान के दावे किए जाने के बाद पुलिस ने दूसरे फुटेज पर ध्यान ही नहीं दिया। एसएसपी जयंतकांत ने बताया कि यहां पर चूक हो गई। आसपास के सभी फुटेज को देखना था, क्योंकि बाद में स्पष्ट हो गया था कि जिस बच्ची को खुशी बताया गया था वह दूसरी बच्ची थी। इस बीच जांच में समय बीत जाने के कारण दूसरे सीसीटीवी कैमरे में फुटेज नहीं मिले।
Source : Hindustan