पटना हाईकोर्ट ने बिहार के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को राज्य के नगर निकायों में चुनाव में देरी और सरकार की तरफ से बहाल प्रशासकों का कार्यकाल खत्म होने से जुड़े मामले में 1 दिसंबर को तलब किया हैं। उच्च न्यायालय ने प्रधान सचिव को इस बात का जवाब देने को कहा हैं कि जब राज्य में नगर निकाय के विघटन की अवधि 6 महीने से अधिक हो गई है तो फिर किस कानून के तहत प्रशासक निकायों में काम कर रहे हैं। साथ प्रावधानों और कानूनों का उल्लंघन मान प्रशासक द्वारा किए जा रहे कार्यों पर क्यों न कोर्ट द्वारा रोक लगा दी जाए।गौरतलब है कि राज्य में नगर निकाय की अवधि 3 सितंबर 2021 और 9 जून 2022 को पूरी हो जाने के बाद संबंधित नगर निकाय का कार्य एडमिनिस्ट्रेटर की देख रेख में हो रहा है।
कल यानी गुरुवार को न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति सुनील दत्त मिश्रा की खंडपीठ ने दो अलग-अलग रिट याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। राज्य सरकार की तरफ से सरकारी वकील किंकर कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद डेडिकेटेड कमीशन का गठन कर दिया गया है। डेडिकेटेड कमीशन यानी कि अतिपिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट आते ही राज्य में नगर निकाय का चुनाव करा लिया जाएगा। वहीं, राज्य चुनाव आयोग ने इस बाबत कोर्ट को बताया है कि अतिपिछड़ा वर्ग आयोग गठन किया गया है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद नगर निकाय चुनाव होगा।