ऐतिहासिक लक्ष्मीविलास पैलेस के दिन अब बहुरने वाले हैं। राज्य सरकार ने इसके जीर्णोद्धार के लिए छह करोड़ 94 लाख 47 हजार की राशि स्वीकृत की है। जीर्णोद्धार का कार्य बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम करेगा। चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद कार्य शुरू होगा। फिलहाल इसमें कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कार्यालय का संचालन हो रहा है। दरभंगा राज परिवार के करीब सवा सौ साल पुराने इस महल को 1961 में तत्कालीन महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह ने संस्कृत शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए दान दिया था।
उनके नाम पर 26 जनवरी 1961 को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। तब से इसमें संस्कृत विश्वविद्यालय के कार्यालय का संचालन हो रहा। इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए विवि प्रशासन लगातार प्रयासरत रहा। इस पर बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम के अधिकारियों ने कई बार पैलेस का निरीक्षण किया। 16 नवंबर 2018 को जीर्णोद्धार की प्रशासनिक स्वीकृति मिली। दो करोड़ की राशि जारी भी हो गई। लेकिन, चुनाव आचार संहिता के कारण काम शुरू नहीं हो सका।
भूकंप के कई झटके झेल चुका पैलेस
यह महल भूकंप के कई झटके झेल चुका है। 1934 के भूकंप में महल का ऊपरी टावर ध्वस्त हो गया था। उस घटना में युवराज जीवेश्वर सिंह बाल-बाल बचे थे। तब तत्कालीन महाराजा डॉ. कामेश्वर ङ्क्षसह ने पुनर्निर्माण कराया था। 2015 में आए भूकंप में महल को काफी नुकसान पहुंचा था। भवन का ऊपरी हिस्सा, जिसमें लंदन से खरीदी गई बेशकीमती घड़ी लगी है, वह कभी भी टूटकर गिर सकता है। भवन की स्थिति देखते हुए कुलपति कार्यालय को शिफ्ट कर दिया गया है।
लंदन टाइम्स में सुर्खियां बटोर चुका है महल
दरभंगा राज परिवार के महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह के दौरान 1880-86 में लक्ष्मीविलास पैलेस का निर्माण हुआ था। विश्व प्रसिद्ध ब्रिटिश आर्किटेक्ट मेजर मंट ने इसका नक्शा बनाया था। फ्रांसीसी आर्किटेक्ट डीबी मारसेल ने इसका निर्माण किया था। लाल व पीले रंग के इस पैलेस में करीब 100 कमरे हैं। इसका दरबार हॉल, फ्रांस के दरबार हॉल का नैनो वर्जन माना जाता है। इसकी खूबसूरती और सुविधाओं की बात 1893 में लंदन टाइम्स में छपी थी।
मेजर मंट के भारत में बनाए अन्य तीन महल कूचबिहार पैलेस, लक्ष्मीविलास पैलेस वडोदरा व कोल्हापुर पैलेस राष्ट्रीय धरोहर घोषित हो चुके हैं। कुलपति प्रो. सर्वनारायण झा का कहना है कि जीर्णोद्धार के बाद इसमें विश्वविद्यालय का मुख्यालय कार्य करेगा। लेकिन, पर्यटन की दृष्टि से आम लोगों के लिए भी खोला जाएगा। इसकी रूपरेखा तैयार की जा रही।