होलिका दहन 24 मार्च रविवार की रात में होगी। शहर के गोला मोड़, पुरानी बाजार, बैंक रोड सूतापट्टी, सिकंदरपुर मोड़ समेत 50 से अधिक जगहों पर होलिका दहन की तैयारी है।

गोला मोड़ सबसे पुरानी जगह है, जहां सैकड़ों वर्षों से होलिका दहन की जाती है। यहां पर मारवाड़ी समाज के लोग बढ़चढ कर हिस्सा लेते हैं। होलिका दहन को लेकर सभी चौक- चौराहों पर लकड़ियां इकट्ठा की जा रही हैं। पंकज मार्केट गोला मोड़ पर पिछले 22 वर्षों से उत्तर बिहार वाणिज्य एवं उद्योग परिषद के पूर्व अध्यक्ष मोतीलाल छापड़िया होलिका दहन करते आ रहे हैं। आचार्य विष्णु शर्मा पूजा कराते हैं। मारवाड़ी समाज की नवविवाहित बेटियां शादी का पहला होलिका दहन मायके में मनाती हैं, जो यहां होलिका दहन के समय परिक्रमा करती हैं। इससे पूर्व सुबह से शाम तक मारवाड़ी समाज की बहू और सास मोली धागा से परिक्रमा करती हैं और 16 शृंगार कर पूजा करने पहुंचती हैं।

मोतीलाल छापड़िया ने बताया कि शहर की चार प्रमुख जगह गोला मोड़, सिकंदरपुर मोड़, बैंक रोड सूतापट्टी मोड़ व पुरानी बाजार में मारवाड़ी समाज के लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इसमें गोला मोड़ पर भव्य आयोजन होता है। बताया कि रविवार की रात 10 बजकर 27 मिनट पर होलिका पूजा आरंभ होगी। होलिका दहन के समय होलिका के बीच से प्रह्लाद को लोग आग से निकालते हैं और होलिका का दहन कर देते हैं।

Source : Hindustan

Sharda Heritage- Marriage Hall , Banquet Hall Muzaffarpur

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