बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे राज्य के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त और समुचित इलाज के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। राज्य के सरकारी अस्पताल सफाई और हाइजीन के मामले में बुरी तरह से फेल हो चुके हैं। केंद्र सरकार की कायाकल्प योजना के तहत हुए मूल्यांकन में बिहार के केवल 2.4 प्रतिशत अस्पतालों को ही 70 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है।
कायाकल्प योजना में खराब प्रदर्शन
कायाकल्प योजना के तहत बिहार के 10,952 अस्पतालों का मूल्यांकन किया गया था, जिनमें से सिर्फ 301 अस्पतालों को 70 प्रतिशत से अधिक अंक मिले। मुजफ्फरपुर जिले के 578 सरकारी अस्पतालों में से केवल नौ अस्पताल ही 70 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने में सफल रहे। क्षेत्रीय अपर निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ. ज्ञान शंकर ने बताया कि कायाकल्प योजना में बेहतर अंक लाने के लिए सभी सीएस को निर्देशित किया गया है और कहा है कि अविलंब सरकारी अस्पतालों की स्थिति ठीक करें ताकि विभाग की बदनामी न हो।
सफाई, हाइजीन और मरीज की संतुष्टि पर आधारित अंक
कायाकल्प योजना में अस्पतालों की सफाई, हाइजीन और मरीजों की संतुष्टि के आधार पर अंक दिए जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग की सर्वे टीम अस्पतालों का निरीक्षण करती है और मरीजों से भी बातचीत करती है। निरीक्षण और मरीजों के फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है। कई बार अस्पतालों को राज्य स्तर से भी निर्देश दिए गए, लेकिन कोई प्रभावी सुधार देखने को नहीं मिला और सरकारी अस्पताल इसमें फिसड्डी साबित हो रहे हैं।
एनक्वास मानकों पर भी फेल
सरकारी अस्पताल नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस (एनक्वास) के मानकों पर भी खरे नहीं उतर रहे हैं। इसके लिए भी कई बार अस्पतालों में पीयर टीम आई और खामियों को दूर करने के निर्देश दिए, लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है।
सदर अस्पताल की स्थिति चिंताजनक
सदर अस्पताल बार-बार कायाकल्प योजना के मूल्यांकन में फेल हो रहा है। कायाकल्प के अलावा लक्ष्य प्रमाणीकरण में भी सदर अस्पताल फिसड्डी साबित हुआ है। पिछले दिनों लक्ष्य सर्टिफिकेट की जांच के लिए टीम आई थी, जिसने अस्पताल के एमसीएच में कई कमियां उजागर कीं और इन्हें दुरुस्त करने के निर्देश दिए। वर्तमान में केवल एसकेएमसीएच के एमसीएच को लक्ष्य का सर्टिफिकेट मिला हुआ है।
इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में सुधार की सख्त आवश्यकता है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे ताकि मरीजों को बेहतर और स्वच्छ स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।
Input : Hindustan