देश में जारी लोकसभा चुनाव के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर कई जगहों पर जाकर मोदी सरकार की विदेश नीतियों का बखान कर रहे हैं। वे रैलियों के बजाय कई सेमिनारों को संबोधित करते हैं और विदेश नीतियों पर बातचीत करते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में, जयशंकर ने खुलकर बताया कि वह चुनाव अभियान में खुद कैसे पार्टिसिपेट करते हैं।

जयशंकर ने कहा कि वह टाउनहॉल तरह की चीजें करने में अधिक सहज हैं। उन्होंने कहा कि वह पीएम मोदी और अमित शाह की तरह मास कम्युनिकेटर हैं। कहा जाता है कि चुनाव में विदेशी नीतियां मायने नहीं रखती हैं। हालांकि जयशंकर ने इसे मिथक बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि वह जहां भी जाते हैं, उनसे विदेश नीति पर कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं। उन्होंने कहा कि विदेश और घरेलू नीति के बीच की रेखा बेहद धुंधली होती है। जयशंकर ने इसे समझाते हुए कहा कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीदना विदेश नीति का मामला है लेकिन उपभोक्ता देश के लोग हैं जो पेट्रोल पंप पर भुगतान करते हैं और तेल खरीदते हैं। इस प्रकार यह एक घरेलू नीति बन जाती है।

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विदेश मंत्री ने कहा, “मुझे यह बहुत दिलचस्प लगता है। क्योंकि जब मैं चुनावों के दौरान लगभग नौ या 10 राज्यों में गया, तो मुझे लगभग हमेशा विदेश नीति से जुड़े ही सवाल पूछे गए। इसलिए मुझे लगता है कि कहीं न कहीं यह लोगों की चेतना में घुस गया है। ऐसा क्यों हुआ है? इसकी वजह ये है कि लोगों के अंदर एक गर्व की भावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को कहां ले गए हैं।”

जयशंकर ने आगे बताया कि लोग विदेश नीति में क्यों रुचि क्यों ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके पीछे दूसरी वजह ये भी है कि लोगों को लगता है कि बाहर कोई खतरा है, यह महामारी हो सकती है, यह आतंकवाद हो सकता है और यह बाहर ही नहीं रहेगा.. कभी को हमारे यहां भी आएगा। इसलिए लोग विदेश नीति के बारे में अधिक जानना चाहते हैं। अगर आप भाजपा के घोषणापत्र को देखेंगे, तो पाएंगे कि हमने विदेश नीति को पहले से कहीं अधिक स्थान दिया है।”

चुनाव प्रचार में अपनी सक्रिय भागीदारी पर उन्होंने कहा कि अलग-अलग लोगों की बातचीत करने की शैली अलग-अलग होती है। जयशंकर ने कहा कि जहां नरेंद्र मोदी और अमित शाह जनसंचार में बेहद असाधारण हैं, लेकिन मैं टाउनहॉल टाइप के संबोधनों में खुद को सहज महसूस करता हूं। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि मैं टाउन हॉल जैसी चीजें करने में अधिक सहज और अधिक असरदार हूं। निश्चित रूप से, टाउन हॉल काफी बड़े हो सकते हैं। कुछ दिन पहले मैंने मुंबई में एक ऐसा टाउनहॉल किया, जहां लगभग 2,000 लोग रहे होंगे।”

उन्होंने कहा, “जब से मैं मंत्री बना हूं, मैंने असल में अपना बहुत सारा समय युवा लोगों से बात करने में बिताया है। इसका असर ये हुआ है कि पिछले पांच वर्षों में उनकी बहुत सारी चिंताओं और हितों को ध्यान में रखा गया है। मुझे लगता है कि युवा असल में बहुत अच्छे हैं वे इस बात से बहुत प्रभावित हैं कि आज विश्व मंच पर भारत के लिए अधिक सम्मान है। आपको अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि यूक्रेन का मुद्दा कितनी बार उठा है और मैं अब उनसे अन्य अभियानों के बारे में बात करता हूं। हमने सूडान में एक बहुत ही जोखिम भरा ऑपरेशन किया। हमारे दूतावास पर लड़ाकू पक्षों में से एक का कब्जा था। मैं उन्हें बताता हूं कि उदाहरण के लिए हमने ऑक्सीजन की आपूर्ति कैसे व्यवस्थित की, हमने विदेश में किस तरह का प्रयास किया या आप कैसे जानते हैं कि एक समय था जब अमेरिका ने किसी भी वैक्सीन सामग्री के बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था…, हमने अमेरिका को कैसे मनाया।”

Source : Hindustan

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