बिहार में सड़क निर्माण और शोध के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। पथ निर्माण विभाग ने पटना जिले के मोकामा में 26 एकड़ भूमि को चिह्नित करते हुए राज्य का पहला सड़क प्रशिक्षण और शोध संस्थान बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस संस्थान के निर्माण से बिहार को सड़क और पुल निर्माण में शोध के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, साथ ही यहां के इंजीनियरों को भी बेहतर प्रशिक्षण मिल सकेगा।
संस्थान के निर्माण में केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान, दिल्ली की सहायता ली जाएगी। मोकामा में बनने वाला यह संस्थान न केवल सड़क निर्माण से संबंधित शोध कार्य करेगा, बल्कि इंजीनियरों को उच्च गुणवत्ता वाला प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा। सरकार का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर को सस्ता, मजबूत और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए सड़क और पुल निर्माण में अनुसंधान का महत्वपूर्ण योगदान है।
इस शोध संस्थान में सड़क और सड़क परिवहन के सभी पहलुओं पर अनुसंधान किया जाएगा, जिसे पांच प्रमुख क्षेत्रों में समूहीकृत किया गया है:
1. कुटिटम अभियांत्रिकी और सामग्री
2. भूतकनीकी अभियांत्रिकी
3. सेतु और संरचनाएं
4. यातायात और परिवहन योजना
5. सड़क विकास योजना और प्रबंधन
यह संस्थान प्रायोजित और अनुबंध अनुसंधान कार्य भी करेगा।
इस परियोजना के तहत केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान परिषद को मेंटर नियुक्त करने के लिए पहले ही सहमति बन चुकी है। इस संस्थान के बन जाने से बिहार के इंजीनियर और संवेदक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे तकनीकी अनुसंधान से अवगत हो सकेंगे, साथ ही उन्हें सड़क निर्माण में नए प्रयोगों के अवसर मिलेंगे।
बिहार अभियंत्रण सेवा संघ (बीसा) के महासचिव राकेश कुमार ने इस पहल की सराहना की है। उनका कहना है कि बिहार सड़क अनुसंधान केंद्र की स्थापना सरकार द्वारा सड़क और पुल निर्माण के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है, जो सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल निर्माण के लिए शोध को बढ़ावा देगा।
सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा यह संस्थान।