आपके सांसद ने कितनी व कौन सी योजनाओं की अनुशंसा की है, इसकी जानकारी अब आसानी से मिलेगी। हर जिले में एक-एक ऐसा विशेष सुविधा केंद्र बनाए जा रहे हैं, जहां लोग अपने प्रतिनिधियों की ओर से की गई अनुशंसा की जानकारी ले सकेंगे। ऐसा केंद्र खोलने के लिए जिला प्रशासन द्वारा स्थान मुहैया कराया जाएगा। लोकसभा के साथ ही राज्यसभा सांसदों के लिए भी विशेष केंद्र होंगे।

बीते छह सितम्बर को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने इस बाबत राज्यों को पत्र भेजा है। सांसद कोष के उप निदेशक मोइनक मुखर्जी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि देश के हरेक जिले में सांसदों के लिए एक विशेष केंद्र खोला जाए। किसी-किसी सांसद का क्षेत्र एक से अधिक जिले में होता है। ऐसी स्थिति में जो सांसद जिस जिले का नाम नोडल के तौर पर देंगे, उनके लिए उसी जिले में केंद्र खुलेगा। केंद्र खोलने के लिए जिलाधिकारी कमरा या उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराएंगे। केंद्र में कुर्सी, टेबल, पेयजल आदि की सुविधा रहेगी। इसके लिए सांसद अधिकतम पांच लाख खर्च कर सकते हैं। केंद्र जिलाधिकारी के अधीन काम करेगा।

केंद्र में एक इंटरनेट से लैस कम्प्यूटर होगा। ठेका पर डाटा इंट्री ऑपरेटर रखे जाएंगे। किसी सरकारी कर्मी की पोस्टिंग इन केंद्रों में नहीं होगी। केंद्र को चलाने के लिए सरकार के स्तर पर पैसा खर्च नहीं होगा। सांसद योजना से ही कुछ पैसा इस केंद्र पर खर्च होगा। सांसद ने कितनी योजनाओं की अनुशंसा की है, इसकी पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से केंद्र में रखी रहेगी। मसलन, किस योजना की कब अनुशंसा हुई, कब शुरू हुआ, अभी वह किस स्थिति में है और कितनी पूरी हुई, इसका ब्योरा रहेगा।

योजनावार जानकारी ले सकेंगे लोग

योजनाओं की भौतिक व वित्तीय प्रगति की योजनावार जानकारी रहेगी, ताकि क्षेत्र के लोग तय कर सकें कि वह सही है या नहीं। सांसद किस-किस योजना की अनुशंसा कर सकते हैं, इसका ब्योरा भी रहेगा। साथ ही सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से समय-समय पर जारी होने वाले निर्देश भी केंद्र में मौजूद रहेंगे। हरेक केंद्र के लिए एक ई-मेल भी होगा।

  • 40 लोकसभा सदस्य बिहार से चुने जाते हैं
  • 16 राज्यसभा सदस्य बिहार से चुने जाते हैं
  • 5-5 करोड़ हर साल मिलते हैं सांसदों को

 

Input : Hindustan

 

 

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