CM नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार-2 के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने के भले कितने दावे कर लें, मगर हकीकत ऐसी खबरों से सामने आ जाती है। कैमूर के चैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में हाइड्रोसिल की सर्जरी कराने गए युवक के परिजनों को डॉक्टर ने ऑपरेशन थियेटर से निकल कर बताया कि “नसबंदी कर दी है, हाइड्रोसिल का कहीं प्राइवेट में इलाज करा लो।” बुधवार को इस नाम पर परिजनों ने हंगामा किया तो डॉक्टर जानकारी देकर नसबंदी करने की बात कहने लगे। खबरें चलने लगीं कि युवक की अब शादी भी होगी तो बच्चे नहीं होंगे, जिंदगी बर्बाद हो गई…वगैरह-वगैरह। ऐसे में ‘अमर उजाला’ ने बिहार के प्रख्यात सर्जन और IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सहजानंद से केस पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि “नसबंदी तुरंत हुई है तो अच्छे सर्जन से खुलवा सकते हैं। ज्यादा वक्त गुजरने से फाइब्रोसिस हो सकता है। ज्यादा देर से खुलेगा तो प्रजनन तंत्र की क्षमता 30% कम हो सकती है। वैसे, नसबंदी को वर्षों बाद खुलवाकर बच्चे पैदा करने के भी केस होते रहे हैं।”
मंगलवार-बुधवार के दौरान चैनपुर के जगरिया गांव के रामदहीन सिंह यादव के पुत्र मनका यादव की जिंदगी बुरी तरह बदल गई। पूरे परिवार के पैरों तले से जमीन निकल गई, जब बढ़े हाइड्रोसिल का ऑपरेशन कराने CHC में भर्ती युवक मनका की नसबंदी होने की जानकारी मिली। परिजनों के अनुसार, आशा कार्यकर्ताओं की सलाह पर नि:शुल्क और सुलभ इलाज के लिए गरीब परिवार आशा के जरिए ही चैनपुर CHC पहुंचे थे। परिवार नसबंदी कर उसका भविष्य चौपट करने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि नसबंदी करने वाले डॉ. राज नारायण प्रसाद ने कहा कि यह आरोप गलत है। जानकारी देकर नसबंदी की गई। मनका और परिवार वालों का कहना है कि परेशानी हाइड्रोसिल बढ़ने की थी और यह डॉक्टर भी देख चुके थे। वह तो किया नहीं, नसबंदी कर दी। युवक मनका यादव ने चिंता जताई कि अब उसकी शादी कैसे होगी? परिवार वालों ने कहा कि शादी होगी तो बच्चे कैसे होंगे? डॉक्टरों पर कार्रवाई हो।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रख्यात सर्जन डॉ. सहजानंद सिंह से ‘अमर उजाला’ ने इस केस पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि अगर किसी डॉक्टर की लापरवाही से ऐसा हुआ है तो उसे सरकारी जांच में देखा जाए। फिलहाल परिजनों को चाहिए कि वह जल्द से जल्द किसी बढ़िया सर्जन के पास ले जाकर इलाज कराएं। परिजन चाहें तो पटना लाकर मुझसे भी इलाज करा सकते हैं। ज्यादा समय होने पर फाइब्रोसिस का रिस्क हो सकता है। नसबंदी के खुलने का ऑप्शन रहता है और यह सही तरीके से जल्दी खुल जाए तो प्रजनन क्षमता पर असर पड़ने की आशंका कम रहती है। गारंटी नहीं दी जा सकती, लेकिन ऐसे केस खूब हुए हैं जब वर्षों बाद नसबंदी खुलवा कर बच्चे पैदा हुए हैं।
Source : Amar Ujala