आज 19 नवंबर को इंटरनेशनल मेन्स डे है, यानी पुरुषों का दिन। हर साल महिला दिवस की तरह अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस भी होता है। यह दिवस पुरुषों को भेदभाव, शोषण, उत्पीड़न, हिंसा और असमानता से बचाने और उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए मनाया जाता है।

यह पढ़ने में आपको थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन यह सच है। महिलाओं की तरह पुरुष भी असमानता के शिकार होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में होने वाली कुल आत्महत्याओं में 76 फीसदी पुरुष होते हैं। पूरी दुनिया में 85 फीसदी बेघर पुरुष हैं। यहां तक कि घरेलू हिंसा के शिकार लोगों में 40 फीसदी संख्या पुरुषों की है।

बता दें कि अमेरिका के मिसौर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर थॉमस योस्टर की कोशिशों के बाद पहली बार 7 फरवरी 1992 को अमेरिका, कनाडा और यूरोप के कुछ देशों ने अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस का मनाया था, लेकिन साल 1995 से कई देशों ने फरवरी महीने में पुरुष दिवस मनाना बंद कर दिया।

1998 में त्रिनिदाद एंड टोबेगो में पहली बार 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया और इसका सारा श्रेय डॉ. जीरोम तिलकसिंह को जाता है। उन्होंने इसे मनाने की पहल की और इसके लिए 19 नवंबर का दिन चुना। उनके इस प्रयास के बाद से ही हर साल 19 नवंबर को दुनिया भर के 60 देशों में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है और यूनेस्को भी उनके इस प्रयास की सराहना कर चुकी है।

भारत में पहली बार 2007 में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया और इसे पुरुषों के अधिकार के लिए लड़ने वाली संस्था ‘सेव इंडियन फैमिली’ ने पहली बार मनाया था।

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