पटना। ट्रेवल एजेंसियों को फिर फर्जी सॉफ्टवेयर से तत्काल टिकट बुक कर कमाई करने विकल्प मिल गया है। रेड मिर्ची सॉफ्टवेयर का भांडा फूटने के बाद हैकर्स मैक और एनजीईटी नामक वेबसाइट से आइआरसीटीसी की वेबसाइट में सेंध लगा रहे हैं।

यह फर्जीवाड़ा उस समय उजागर हुआ जब आरपीएफ इंस्पेक्टर रितुराज कश्यप ने राजधानी पटना के बोरिंग कैनाल रोड में दो ट्रेवल एजेंसियों के दफ्तर पर छापेमारी की। दोनों एजेंसी संचालक मैक एवं एनजीईटी नामक सॉफ्टवेयर से टिकट बुक करते पकड़े गए। आरपीएफ की टीम इनका बंगलुरु कनेक्शन खंगाल रही है।

रेड मिर्ची सॉफ्टवेयर आइआरसीटीसी के टिकट बुकिंग सिस्टम में पूरी तरह सेंध लगाए था। पिछले पांच वर्षों से बंगलुरु की यह फर्जी कंपनी पूरे देश में ट्रेवल एजेंसियों को फर्जी सॉफ्टवेयर बेचती थी। इसके कर्ता-धर्ता गुलाम मोहम्मद की गिरफ्तारी व हाशिम अंसारी पर नकेल के बाद रेड मिर्ची संचालक मो.अंसारी ने वेबसाइट को बंद करने की घोषणा कर दी थी।

ऐसे कांटेक्ट करते हैं सॉफ्टवेयर के प्रतिनिधि

रेड मिर्ची पर शिकंजा कसने के बाद ट्रेवल एजेंसी संचालक तत्काल टिकटों की बुकिंग कैसे करें, इसके विकल्प को अन्य साइट तलाशने लगे। रोज-रोज टिकट बुक करने की कोशिश में दूसरी फर्जी सॉफटवेयर कंपनियों के प्रतिनिधि उनसे पहले फेक कंपनी का नाम देकर संबंध बनाने की कोशिश करते हैं। जब उन्हें यह लगता है कि एजेंसी संचालक इच्छुक है तो उसके मेल पर मैक अथवा एनजीईटी का विज्ञापन भेजा जाता है।

हले रेड मिर्ची का साफ्टवेयर इंस्टॉल करने के लिए 5000 रुपये लिए जाते थे जिसे बढ़ाकर अब 10000 कर दिया गया है। इसके बाद संचालक के कंप्यूटर का नंबर मांगा जाता है। प्रतिनिधियों द्वारा ऑनलाइन साफ्टवेयर को इंस्टॉल कर दिया जाता है।

 

200 रुपये प्रति टिकट देने होते हैं संचालक को

मैक अथवा एनजीईटी के साफ्टवेयर इंस्टॉल करने के बाद ट्रेवल एजेंसी संचालक से टिकट बुक करने पर प्रति टिकट 200 रुपये लिए जाते हैं। पहले रेड मिर्ची की ओर से 100 रुपये प्रति टिकट लिया जाता था। एजेंसी संचालक तत्काल टिकट की बुकिंग खुलने के पहले ही नाम-पता के साथ पूरा विवरण भर लेते हैं।

Input : Dainik Jagran

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