कोरोना काल में हर कुछ उथल पुथल हो गया है कोविड-19 (covid-19 ) महामारी के चलते नीट-जेईई की प्रवेश परीक्षाओं को लेकर देशभर में विवाद चल रहा है. परीक्षा को लेकर दो गुट बंट चुके हैं. एक वर्ग परीक्षा कराए जाने की मांग कर रहा है, तो दूसरा वर्ग परीक्षा को स्थगित करने की मांग कर रहा है.
इसी बीच विपक्षी पार्टियां बीजेपी सरकार के खिलाफ एक मंच पर आते दिख रहे हैं. नीट-जेईई की परीक्षा को छह राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जबकि सुप्रीम कोर्ट इससे पहले परीक्षा कराने की अनुमति दे चुका है. 7 गैर बीजेपी शासित राज्यों ने तय किया है कि वे सितंबर में प्रस्तावित नीट-जेईई परीक्षा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
सात राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की पुनर्विचार याचिका
वहीं. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश सिंह बघेल, पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह, पुडुचेरी के सीएम नारायणसामी, महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर नीट और जेईई की परीक्षा को टालने की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका
बता दें कि नीट की परीक्षा 13 सितम्बर को है जबकि जेईई की परीक्षा एक से नौ सितंबर के बीच होनी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को परीक्षा कराने के लिए हरी झंडी दे दी थी. अब दाखिल याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपने उस फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा गया है. याचिका में कहा गया है कि नीट और जेईई के छात्रों को सुरक्षित करना और छात्रों के ‘जीने के अधिकार’ को बचाना जरूरी है.
देश में कोरोना से हो चुकी 60,000 से ज्यादा मौतें
याचिका में कहा गया है कि परीक्षाएं कराने में तमाम लॉजिस्टिकल कठिनाइयों को ध्यान में नहीं रखा गया है. परीक्षाओं को कराने और छात्रों की सुरक्षा के बीच संतुलन नहीं बनाया गया है. परीक्षाओं में छात्रों की सुरक्षा के लिए जरूरी बचाव के उपाय नहीं किए गए हैं. आगे कहा गया है कि यह परीक्षाएं ऐसे समय पर कराई जा रही हैं, जब देश में कोरोना से 60000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.