कैनबरा. आ’ग की त’बाही से जू’झ रहा ऑस्ट्रेलिया अब 10 हजार ऊंटों को मा’रने जा रहा है। कारण ये ऊंट साल भर में एक टन मीथेन उत्सर्जित करते हैं, जो इतनी ही कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर है। ऊंटों की बढ़ती जनसंख्या भी देश के लिए स’मस्या बन रही है, क्योंकि यह सूखे वाले इलाके में ज्यादा पानी पी जाते हैं। यही नहीं, यह सड़कों पर अतिरिक्त 4 लाख कारों के बराबर भी है।
स्थानीय संगठन एपीवाई का कहना है कि ऊंटों को मारे जाने का एक कारण दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में पानी की कमी होना भी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हम पानी की किल्लत की वजह से एसी का पानी भी स्टोर कर रखते हैं। ये ऊंट इस पानी को पीने आ जाते हैं। ये घर के आसपास घूमते हैं। फेंसिंग को भी नुकसान पहुंचाते हैं। बुधवार से हेलिकॉप्टर से पेशेवर शूटर ऊंटों को मारना शुरू करेंगे। ऑस्ट्रेलिया में इनकी आबादी 12 लाख से अधिक है।
जंगली ऊंट की आबादी हर 9 साल में दोगुनी हो जाती है
स्थानीय प्रशासन का दावा है कि जंगली ऊंट की आबादी हर नौ साल में दोगुनी हो जाती है। यहां वर्ष 2009 से 2013 तक भी 1.60 लाख ऊंटों को मारा गया था। इसके अलावा, रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि ऊंट ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा रहे हैं। ऊंट साल भर में एक टन मीथेन उत्सर्जित करते हैं, जो इतनी ही कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर है।
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में सूखा
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया सूखे की वजह से पानी की किल्लत है। सबसे खराब हालात न्यू साउथ वेल्स में हैं। जमीन में नमी तक नहीं है। घास तक नहीं बची है। पशु भूख और पानी से मर रहे हैं। लोग शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। यहां के 57 फीसदी हिस्से को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। इवांस प्लेन में स्थित बाथर्स्ट पुलिस डिपार्टमेंट का कहना है कि इस वक्त शहर में मौजूद बांध में पानी का स्तर 37% पहुंच गया है। यह बांध बनने के बाद से उसमें पानी का सबसे कम स्तर है। गर्मी की वजह से हर हफ्ते पानी का 1.1% की दर से वाष्पीकरण हो रहा है। फिलहाल बारिश के भी कोई आसार नहीं दिख रहे।
आग से अब तक 24 की मौत
ऑस्ट्रेलिया का 90 फीसदी हिस्सा जंगलों में लगी आग से प्रभावित है। अब तक 24 लोगों की मौत हो गई है और हजारों घर तबाह हो गए हैं। आग का सबसे बुरा वन जीवन पर पड़ा है। यहां अब तक 50 करोड़ से ज्यादा जानवर और जीव-जंतू मारे जा चुके हैं। इनमें ज़्यादातर कोआला और कंगारू हैं, जो कि मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में पाए जाते हैं।