रायपुर. राजधानी सहित प्रदेशभर में भीषण गर्मी से बचने के लिए शहरी इलाकों में दिन-रात एसी चल रहे हैं। इससे बिजली की खपत भी बढ़ रही है, इसलिए बिजली कंपनी ने अलर्ट जारी किया है कि एसी का तापमान 26 डिग्री रखें। इससे रोजाना 5 यूनिट बिजली बच सकती है।
बिजली बचाने के लिए दी गई इस सलाह के साथ राजधानी के डाॅक्टर भी सामने आ गए हैं। उनका कहना है कि शरीर का तापमान आमतौर पर 37 डिग्री रहता है, जबकि एसी 20 डिग्री या कम में चल रहे हैं। इससे शरीर को खासा नुकसान है। खासकर सांस और हार्ट की समस्याएं बढ़ रही हैं। यही नहीं, काफी ठंडे रूम से बाहर निकलने पर त्वचा में ज्यादा जलन महसूस होने लगती है। राजधानी में पिछले 15 दिन में दो-तीन दिनों को छोड़कर दोपहर का तापमान 44 डिग्री के आसपास चल रहा है।
बिजली कंपनी के मुताबिक जब से तापमान बढ़ा है, लोगों ने एसी 20 डिग्री या उससे भी कम पर चलाना शुरू कर दिया है। बिजली कंपनी के चेयरमैन शैलेंद्र शुक्ला ने बिजली खपत के आंकड़ों के हवाले से बताया कि रात में लोग एसी इतने कम तापमान में चला रहे हैं और कमरा इतना ठंडा कर रहे हैं कि ब्लैंकेट ओढ़ना पड़ रहा है। इससे बिजली तो बर्बाद हो ही रही है, शरीर को भी नुकसान हो रहा है। बिजली कंपनी की तरफ से जारी एलर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि अत्यंत कम तापमान में रखने पर एसी का कम्प्रेसर अपनी पूरी क्षमता से काम करता है, भले ही वह 5 स्टार क्यों न हो। इससे बिजली की खपत औसत से रोजाना 5 यूनिट तक बढ़ रही है।
सीने में इंफेक्शन, ड्राइनेस, जोड़ों में दर्द होता है : अमेरिकी रिसर्च
अमेरिकन सोसाइटी आफ हीटिंग, रेफ्रिजरेटिंग एंड एयरकंडीशनिंग इंजीनियर्स के एक रिसर्च के अनुसार आम लोगों के लिए एसी का तापमान 23.5 से 25.5 डिग्री के बीच रहना चाहिए। इससे कम होने पर श्वांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादा ठंडे कमरे में लंबे समय रहने से सीने में इंफेक्शन, ड्राइनेस, जोड़ों में दर्द और सिरदर्द की शिकायतें हो सकती हैं।
कम तापमान से नसें सिकुड़ती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है
23 डिग्री से कम एसी में लगातार रहने से खून की नसें सिकुड़ती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। बीपी बढ़ने से हार्ट को ज्यादा काम करना पड़ता है। यह अटैक की आशंका पैदा करता है। शरीर का तापमान 37 डिग्री रहता है। अगर यह 32 डिग्री पर आ जाए तो हार्ट की रफ्तार बदलती है, जिससे खतरा होता है। इसलिए एसी को 26 डिग्री पर रखना चाहिए। -डाॅ. कृष्णकांत साहू, हार्ट सर्जन, एसीआई
Input : Dainik Bhaskar