कहते हैं कि सफलता उन्हें ही मिलती है तो उसे पाने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं फिर रास्ते में कितनी भी बाधाएं आएं। इसी का उदाहरण है महाराष्ट्र की प्रांजल। प्रांजल की आंखें नहीं है, लेकिन उनकी हिम्मत और हौसला बहुत बड़ा है।
उनकी मेहनत और लगन थी जिसकी बदौलत वो पहली नेत्रहीन महिला आईएएस (IAS) बनी हैं और तिरुवनंतपुरम में सब कलेक्टर का चार्ज संभाल लिया है। महाराष्ट्र के उल्लासनगर में रहने वाली प्रांजल की आंखें बचपन से ही कमजोर थी। धीरे-धीरे उनकी रोशनी कम होती गई और छह साल की उम्र में उनकी दोनों आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई। इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी बल्कि अपनी असक्षमता को मिसाल बनाकर बाकी लड़कियों के लिए प्रेरणा बनीं।
Kerala: Pranjal Patil, India’s first visually challenged woman IAS officer takes charge as Sub Collector of Thiruvananthapuram. pic.twitter.com/opUn08uu6X
— ANI (@ANI) October 14, 2019
सब कलेक्टर का चार्ज संभालते हुए प्रांजल ने कहा, “हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए, न ही हमें कभी किसी काम को बीच में छोड़ देना चाहिए। अपने प्रयास से एक दिन हम वो जरूर पा लेते हैं जो हम चाहते हैं।”
प्रांजल ने अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 773वीं रैंक हासिल कर के साबित कर दिया कि मेहनत से कुछ भी पाया जा सकता है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई के श्रीमति कमला मेहता स्कूल से पूरी की, ये स्कूल दिव्यांगों के लिए ही है। यहां पर ब्रेल लिपि में पढ़ाई कराई जाती है। प्रांजल ने अपनी 10 वीं तक की पढ़ाई यहीं से की। इसके बाद उन्होंने चंदाबाई कॉलेज से ऑर्टस में 12वीं की परीक्षा पास की। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में दाखिला लिया और उसके बाद जेएनयू यूनिवर्सिटी से एमए किया।
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