आश्विन महीने की शरद पूर्णिमा बेहद खास होती है। इस दिन चंद्रमा की दूधिया रोशनी के साथ अमृत की बूंदें भी छलकेंगी। खीर की भीनी खुशबू से देवालय महकेंगे। रविवार को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। इसे कोजगरा व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन रात को खीर खुले आसमान में रखी जाती है।
प्रसाद ग्रहण करने से अनेक प्रकार के रोगों से मिलता छुटकारा
इसके बाद उसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है। पूर्णिमा को चांद 16 कलाओं से संपन्न होकर अमृत वर्षा करता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। कहते हैं ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं। इस दिन कोजगरा माता के रूप में मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है और रात में खीर बनाकर उसे रात में आसमान के नीचे रखा जाता है। इस दिन चंद्रमा की चांदनी का प्रकाश खीर पर पड़ना चाहिए। वहीं दूसरे दिन सुबह स्नान करके खीर का भोग अपने घर के मंदिर में लगाकर ब्राह्मणों को खीर प्रसाद के रूप में देकर परिवार में बांटी जाती है। इस प्रसाद को ग्रहण करने से अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है। मंदिरों में भगवान को विशेष तौर पर खीर का भोग लगाया जाएगा। मां मनोकामना मंदिर के पुजारी पं. रमेशमिश्र ने बताया कि कोजगरा व्रत मिथिलांचल का पर्व है।
नए जोड़े सौभाग्य की रक्षा के लिए कोजगरा माता की पूजा करते हैं। चतुर्भुजनाथ मंदिर के महंथ नवलकिशोर मिश्र ने बताया कि शालीग्राम देवता, लक्ष्मी- गणेश आदि को रात में ओस में रखकर खीर, मखाना व नारियल का भोग लगाया जाएगा। सुबह 11 बजे से 24 घंटे का रामायण पाठ शुरू होगा।
प्रतिमा स्थापित कर करेंगे कोजगरा लक्ष्मी पूजा: बंगाली समुदाय की ओर से रविवार को कोजागरा लक्ष्मी पूजा की जाएगी। महिलाएं उपवास रखेंगी। हरिसभा स्कूल परिसर में हरिसभा दुर्गा पूजा कमेटी की ओर से 118वें साल प्रतिमा स्थापित कर कोजागरा लक्ष्मी पूजा की जाएगी। कमेटी के उपाध्यक्ष देवाशीष गुहाने बताया कि करीब छह फीट की प्रतिमा बनाई गई है। मां लक्ष्मी को नारियल की मिठाई, खीर की बनी पुरी, खीर आदि का भोग लगाया जाएगा।