शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय का’रा, मुजफ्फरपुर के बंदी लहठी (लाह से चूड़ी) तैयार कर रहे हैं। इस काम में हत्या जैसे संगीन अ’पराध में स’जा पाए चार बं’दी भी लगे हैं। ये पहले से लहठी बनाना जानते हैं। का’रा प्रशासन ने इस जानकारी के बाद इन चारों का एक ग्रुप बनाया। लहठी तैयार करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कच्चा माल (लाह व अन्य सामग्री) मुहैया कराया। का’रा अधीक्षक बताते हैं कि अभी यह काम प्रारंभिक स्तर पर है। इस हुनर से आगे और बं’दी जोड़े जाएंगे।

लहठी की पहली खेप मुजफ्फरपुर के बाजार में : बताते हैं कि चार बंदियों द्वारा लहठी बनाने के लिए स्थानीय कारा प्रशासन ने पूंजी का इंतजाम किया है। चार लोगों के काम के लिए महीने भर में करीब 10 से 15 हजार रुपये की पूंजी लगती है। एक दिन में चारों मिलकर 10 से 15 सेट तैयार करते हैं। जिसे स्थानीय बाजार में भेजा जा रहा है। आगे डिमांड के अनुरूप इसे विस्तारित किया जाएगा। बताया गया है कि सरकार की योजना के अनुरूप विभिन्न तरह के अपराध में सजा पा चुके बंदियों को जेल से निकलने से पहले हुनरमंद बनाया जा रहा है। ताकि, जेल से बाहर जाने के बाद वे एक ईमानदार जीवन जी सके। इसके तहत फिलहाल मो. अली, खैरून नेशा, हाफिज और अब्दुल रसीद लहठी बना रहे हैं। इनके द्वारा तैयार की गई लहठी की क्वालिटी देखी जा रही है। बाजार में इसके सफल होने के बाद 40 अन्य बंदियों को प्रशिक्षित करने में इन्हें लगाया जाएगा।

प्रशिक्षण के लिए योजना तैयार : बताया गया है कि ज्यादा से ज्यादा बंदियों को हुनरमंद बनाने की योजना के तहत चार से लहठी बनानेवालों की संख्या 40 करने के लिए कारा प्रशासन ने प्रशिक्षण प्रारूप तैयार किया है। मुख्यालय से सहमति प्राप्त कर जल्द ही इसे विस्तारित किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया की मॉनीटरिंग जेल अधीक्षक राजीव कुमार सिंह स्वयं कर रहे हैं।

पहले से तैयार किया जा रहा है खादी वस्त्र

जेल में लगातार बंदियों को विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लहठी निर्माण से पहले यहां के बंदियों ने सूत कताई की ट्रेनिंग ली। इसके बाद यहां खादी वस्त्र का निर्माण हो रहा है। इनमें चादर, गमछा और सफेद कपड़े का निर्माण शामिल है। यहां तैयार कपड़ों की आपूर्ति सूबे के विभिन्न जेलों में की जा रही है। कपड़े से बंदियों के कुर्ता-पजामा तैयार किए जाते हैं।

जेल में सजायाफ्ता बंदियों को रोजगारपरक कार्यो का प्रशिक्षण देने की दिशा में काम चल रहा है। चार सजायाफ्ता लहठी तैयार कर रहे हैं। इस प्रयोग के सफल होने के बाद आगे अन्य बंदियों को भी विभागीय नियमों के अनुरूप प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। -राजीव कुमार सिंह, कारा अधीक्षक

Input : Dainik Jagran

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