राजधानी पटना में स्थित गंगा तटों, तालाबों व घर-अपार्टमेंट की छतों पर लाखों व्रतियों ने शनिवार की शाम सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया। वहीं बिहार के चर्चित सूर्यपीठों जैसे औरंगाबाद के देव, पटना जिले के उलार,पुण्यार्क मंदिर पंडारक में लाखों की तादाद छठ व्रती सूर्य भगवान को अर्घ्य प्रदान किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। 1 अने मार्ग में अर्घ्यदान के दौरान उनके बड़े भाई समेत अन्य परिवारीजन भी  मौजूद रहे।  रविवार की सुबह लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो जाएगा।

शनिवार की शाम राजधानी पटना के गंगा घाटों पर भगवान भाष्कर को पहला अर्घ्य देने के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। एनआईटी गांधी घाट, कालीघाट, दीघा, पाटीपुल, दीघा गेट नं.93, कलेक्ट्री घाट, कुर्जी, बांसघाटों पर छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही। पारंपरिक छठ गीतों …मारबउ रे सुगवा धनुष से …कांच की बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए… होख न सुरुज देव सहइया… बहंगी घाट पहुंचाए…से पूरा शहर और सूबा भक्तिमय हो गया। धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है।

आरोग्य की प्राप्ति,सौभाग्य व संतान के लिए व्रत
ज्योतिषाचार्य डा.राजनाथ झा के अनुसार सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति,सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है। वर्षकृत्यम में भी छठ की चर्चा है।

Input : Hindustan

 

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