रविवार को तुम्हारे इस दुनिया से कूच कर जाने की खबर मिली।सब कहते हैं तुमने खुद फाँसी लगा ली। पूछ सकती हूँ आख़िर क्यों?
तुम्हारी ज़िंदगी क्या बस तुम्हारी थी , उस पिता की नहीं जिन्होंने बालपन में तुम्हें अपने कंधे पर दुनिया दिखायी होगी। तुम्हारी ज़िंदगी पर कुछ हक़ तो उन बड़ी बहनो का भी रहा होगा जो तुम्हारे जन्म पर फूले ना समायी होंगी। और उस माँ के त्याग का क्या, जिन्होंने तुम्हें नौ महीने तक अपनी कोख में खून से सींचा होगा। उनका शरीर भले हीं तुम्हारे साथ ना था, लेकिन उनके आशीष से हीं तो तुम बॉलीवुड के दिग्गजों को पछाड़ आए थे। जानती हूँ उनका तुम्हारे 16 वर्ष के आयु में तुम्हें छोड़कर चले जाना ईश्वर की गलती थी। लेकिन ईश्वर को ग़लतियाँ अलाउड हैं। उन्हें सवालों के जवाब नहीं देने पड़ते। इन बातों को तुमने उस कम उम्र में भी कितनी बहादुरी से समझ लिया। तुम हार नहीं माने, हर जंग जीती। पढ़ाई से लेकर अभिनय की दुनिया तक अपना लोहा मनवाया और वो भी ऐसा की तुम्हारा परिवार हीं नहीं तुम्हारा प्रांत, तुम्हारा देश तुम्हारे नाम से इतराता रहा। तुम करोड़ों के प्रेरणा स्त्रोत बने।सच कहूँ तो तुम्हारे चमक के सामने फ़िल्मी महकमे की नयी पीढ़ी बिल्कुल फिंकी दिखती है।
तुम्हारे मुस्कुराहट सबने देखी बस तुमने उसके पीछे छिपें दर्द को देखा। वह शायद इसलिए की परदेस में तुम अकेले थे। और फ़ोन और विडीओ पर कोई भी परिवार चेहरे और उसके पीछे छिपी बातों को पढ़ नहीं पाता।
काश कि तुम्हें हर दिन किसी ने गले लगाया होता । काश कि हर दिन किसी ने तुम्हारे ललाट को चूमा होता और तुमसे यह कहा होता कि तुम्हारी माथे की शिकन अब मेरी है। और तुम्हारे मुश्किलों को तुमसे बाँट लिया होता। बस कहने में ही तो देरी हुई थी कि तुम्हारा होना ही काफ़ी है।काश की तुमने अपने पिता की चौड़ी छाती को निहारा होता। अपनी बहनो की राखी की डोर को सहेजा होता।
तुम्हारा जाना हर उस युवा की क्षति है जो छोटे दायरों में बड़ा ख़्वाब देखता है।तुम्हारा जाना हर उस माँ की क्षति है जो औलाद को गिरकर भी चलना सिखाती है।हर उस पिता की क्षति है जो अपने औलाद को तूफ़ानो से लड़ना सिखाते है। माना कि कुछ लोगों ने तुम्हें नकारा होगा, पर तुमने अपनो को नज़र अन्दाज़ क्यों किया? तुम्हारा यूँ चले जाना मन से जाता ही नहीं। तुम तुम्हारे नहीं , हम सबके थे।
यह सही नहीं था सुशांत! तुम बहुत याद आओगे 😢💐
Courtesy : Anupama Kumar Jyoti