मौसम की बेरुखी से मुजफ्फरपुर की ब्रांड शाही लीची इस बार आकार और मिठास दोनों में काफी कमजोर पड़ गई। बढ़ते तापमान, गर्म हवा और बारिश की कमी के कारण फसल की गुणवत्ता खराब हो गई है। प्रतिकूल मौसम में उत्पादन भी काफी प्रभावित हुआ है। साल भर से बेहतर आमदनी की आस लगाये बैठे लीची किसानों के सामने आर्थिक संकट मंडराने लगा है। छोटे किसान बुरे हालात में फंसे हैं।

लीची की खराब हालत देख इस बार दूसरे प्रदेशों के व्यापारी भी कम आये हैं। किसानों को पिछली बार की अपेक्षा आधी कीमत पर अपने लीची बागान बेचने पड़ रहे हैं। प्रगतिशील किसान भोलानाथ झा बताते हैं कि जो शाही लीची पिछले वर्ष 1600-1700 रुपये पेटी बिकी रही थी वह इस बार खराब क्वालिटी के कारण 900-1100 रुपये पेटी बिक रही है। प्रति पेटी सात किलो लीची रहती है। किसान संजय कुमार बताते हैं कि उनका दो एकड़ के बाग में लीची पेड़ है। फसल की वास्तविक कीमत 1.25 लाख रुपये होनी चाहिए थी। एक महीने से बाग के खरीदार का इंतजार कर रहा हूं। जो व्यापारी पहुंच रहे वे कम कीमत लगाते रहे। अंतत: 57 हजार रुपये में बाग बेचा।

न सही तापमान मिला और न समय से हुई बारिश

अप्रैल तक बाग निखरे थे। मई में तापमान में उलट-पुलट से लीची मारी गई। अधिकतम-न्यूनतम तापमान में 18- 20 डिग्री तक का अंतराल लीची पर भारी पड़ा है। जरूरत 10-12 डिग्री तापमान अंतराल की थी। ऐसे में लीची के दाने बढ़े ही नहीं। अधिकतम तापमान 40 डिग्री से ऊपर पहुंचते लीची असमय लाल हो गई। बारिश का न होना कोढ़ में खाज साबित हुआ। अधिकांश बाग में फटी-सूखी लीची के गुच्छे झूल रहे हैं।

वजन-आकार घटने से छायी मायूसी

शाही लीची का सामान्यत: 25-28 ग्राम के बीच होती है। लेकिन वजन-आकार में पिछले पांच वर्षों से गिरावट आ रही है। इस बार लीची के फल सिर्फ 15 से 16 ग्राम तक के हैं। उत्पादन में कमी के आसार से किसान सदमे में हैं।

बिहार में 34 हजार हेक्टेयर में लीची उत्पादन

बागवानी मिशन के आंकड़ों के मुताबिक सूबे में 34 हजार हेक्टेयर में लीची बाग हैं। मुजफ्फरपुर में 10 हजार हेक्टेयर में लीची उत्पादन होता है। सूबे में पिछले वर्ष करीब डेढ़ लाख टन लीची का उत्पादन हुआ था। इस बार 50 फीसदी तक उत्पादन में गिरावट की आशंका हैं।

सूबे के चार लाख किसानों में बेचैनी

कृषि विभाग के मुताबिक बिहार में लीची की खेती से करीब चार लाख छोटे-बड़े किसान जुड़े हैं। सर्वाधिक किसान पांच एकड़ तक बाग वाले हैं। ऐसे किसानों की संख्या लगभग 2.50 लाख हैं। अति छोटे छोटे बाग वाले लगभग सवा लाख किसान हैं। लगभग 25 हजार ऐसे किसान हैं जो पांच एकड़ से अधिक में लीची की बाग लगाये हैं।

Input : Hindustan

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