INDIA
PUBG खेलते-खेलते शादीशुदा महिला को हुआ प्यार महिला ने मांगा तलाक, कहा- जिसके साथ खेलती हूं, उसी के साथ रहूंगी
पबजी मोबाइल गेम के बारे में तो आप जानते ही होंगे। पबजी (PUBG) प्लेयर अननोन बैटलग्राउंड (पबजी) दीवानगी के बारे में आपको बताने की जरूरत नहीं है।
पबजी गेम के कारण भारत अभी तक 10 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं और अभी तक 16 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया चुका है। खास बात यह है कि जिस गुजरात में डीएम की मनाही के बाद पबजी खेलने पर 16 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, उसी गुजरात में पबजी की दीवानगी में एक महिला ने अपने पति से तलाक मांगा है।
यह अपने आप में शायद पहला मामला होगा जब पबजी के कारण किसी का रिश्ता टूटेगा। दरअसल अहमदाबाद में रहने वाली एक 19 साल की महिला को अपने पति से तलाक चाहिए। महिला एक साल से भी कम उम्र की बच्ची की मां है। इसके लिए महिला ने राज्य की महिला हेल्पलाइन अभयम 181 पर फोन किया है। महिला ने पति से तलाक मांगने और अपने पबजी गेमिंग पार्टनर के साथ रहने की इच्छा जाहिर की है।
रिपोर्ट के मुताबिक महिला एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखती है। वह अपने फैसले पर अडिग है और उसका कहना है कि फैसले के पीछे घरेलू विवाद नहीं है। काउंसलर ने कहा, ’18 साल की उम्र पूरी होने पर लड़की की शादी एक बिल्डिंग कांट्रैक्टर से हो गई थी। जल्द ही वह एक बच्ची की मां बन गई।
महिला के बयान के अनुसार वह कुछ महीने पहले ही पबजी की आदी हुई है और घंटों पबजी खेलती है। पबजी खेलने के दौरान ही उसे शहर के एक लड़के प्यार हो गया है और दोनों मिलकर पबजी खेलते हैं। दोनों गेमिंग के दौरान चैटिंग भी करते हैं।महिला की काउंसिलिंग करने वाली सोनल संगठिया ने इस मामले पर कहा कि लड़की ने पति से तलाक के लिए अभयम में फोन किया था। उसके इस कदम का पिता ने समर्थन नहीं किया।
उन्होंने बताया, ‘उसका मामला सुनने के बाद, जब हमने उससे पूछा कि क्या उसका पति से कोई विवाद है तो उसने इससे इनकार कर दिया। उसका कहना है कि वह उस युवक के साथ रहना चाहती है जिससे वह नियमित तौर पर चैट करती है। साथी पबजी खिलाड़ी के साथ उसकी बढ़ती निकटता के परिणामस्वरूप जोड़े में लड़ाई होने लगी। जिसके बाद उसने पति का घर छोड़ दिया और अपने पिता के यहां रहने आ गई।’
काउंसलर की टीम ने 19 साल की महिला को अपनी बच्ची की परवरिश और उसके भविष्य का ख्याल रखते हुए एक बार फिर से अपने फैसले पर विचार करने के लिए कहा है। उसने पहले इच्छा जताई कि उसे अस्थायी तौर पर एक महिला के साथ रहने दिया जाए जब तक कि उसका तलाक नहीं हो जाता। इसके बाद वह युवक के साथ रहना चाहती है।
काउंसलर ने कहा, ‘वह चाहती थी कि यदि उसके पिता विरोध करें तो हेल्पलाइन के अधिकारी उसे युवक के पास ले जाएं। हमने उससे वादा किया कि हम उसके परिवार और पति से बात करेंगे लेकिन वह जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाएगी।’ उसे पबजी की आदत छोड़ने के लिए मनोवैज्ञानिक मदद लेने के लिए कहा गया है।
Input : Amar Ujala
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योगी सरकार 2.0 ने 100 दिनों में अपराधियों की तोड़ी कमर, 500 से ज्यादा एनकाउंटर और करोड़ों की संपत्ति जब्त

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ अपने कामकाज का ब्योरा का देते हुए कहा कि 100 दिनों में माफियाओं पर कड़ा प्रहार किया गया. उन्होंने कहा कि 2017 के बाद से अब तक करीब 2925 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति जब्त की गई है. यह सरकार की अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का परिणाम है. सीएम योगी ने कहा कि पिछले पांच साल में प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ है. पहले प्रदेश दंगा और अराजकता के लिए जाना जाता था पर भाजपा सरकार में एक भी दंगा नहीं हुआ है. वहीं धार्मिक स्थलों से अनावश्यक लाउडस्पीकर हटाए गए हैं. यह बिना किसी विवाद के हुआ है. किसी भी धार्मिक त्योहार में सड़कों पर कोई आयोजन नहीं हुआ. जिससे प्रदेश में पहली बार निवेश का माहौल बना है.
उन्होंने मीडिया को बताया कि 2017 के पहले प्रदेश में विकास कार्यों को लेकर बड़ी समस्या थी. यूपी के सामने पहचान का संकट था. केंद्र की लाभकारी योजनाओं को लागू करने में प्रदेश सरकार रूचि नहीं लेती थी. मगर 2017 के बाद इसमें बदलाव हुआ. आज प्रदेश में केंद्र सरकार की हर योजना का लाभ मुहैया हो रहा है. प्रदेश में गुडों-माफिया के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया जा रहा है.
2017 के बाद से अब तक 844 करोड़ रुपये की अवैध संपत्तियों को बुलडोजर से गिरवाया गया है. पॉस्को एक्ट के तहत 2273 अपराधियों पर कार्रवाई की गई है. 68,784 अनधिकृत कब्जे और 76,196 अनधिकृत पार्किंग को मुक्त कराया गया है.
जबकि 74,385 लाउडस्पीकर्स को धार्मिक स्थलों से हटाया गया है. वहीं, प्रदेश स्तर पर 50 माफिया और जिला स्तर पर 12 माफिया पर कठोर कार्रवाई की गई है. बता दें कि योगी सरकार अपराधियों के खिलाफ सख्त रवैया अपना रही है. 25 मार्च 2022 से लेकर एक जुलाई 2022 तक कुल 525 एनकाउंटर हुए है. इस दौरान 1034 अपराधी गिरफ्तार किए गए हैं और 425 बदमाश पुलिस मुठभेड़ में घायल हुए हैं. बदमाशों से हुई इस मुठभेड़ में 68 पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं.
Source : News18
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मैं कहीं नहीं जा रहा, मेरे बीजेपी जाने की खबरें पूरी तरह से गलत- केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह

केंद्रीय मंत्री और जेडी यू नेता आरसीपी सिंह के बीजेपी में जाने की खबरें निराधार बताई जा रही हैं. सोमवार दोपहर ऐसी अफवाह फैली की उन्होंने बीजेपी जॉइन कर लिया है. दरअसल वे बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने हैदराबाद गए थे. आरसीपी सिंह जेडीयू के कोटे से राज्य सभा सदस्य थे. उनके राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. दूसरी बार उन्हें पार्टी ने राज्यसभा में भेजने का अवसर नहीं दिया. राज्यसभा के कार्यकाल समाप्त होने के बाद कानूनन वे 6 महीने तक मंत्रीपद पर रह सकते हैं. इस बीच यदि वे संसद के किसी सदन के सदस्य नहीं बनते हैं तो उनका मंत्रीपद स्वतः समाप्त हो जाएगा. पिछले साल जेडीयू का अध्यक्ष ललन सिंह को बनाए जाने के बाद से ही आरसीपी सिंह की जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार के बीच अनबन की खबरें आ रहीं थीं.
Union Minister & JD(U) leader RCP Singh has not joined BJP. He was in Hyderabad, Telangana to attend a committee meeting: Sources
(File pic) pic.twitter.com/x865AOFKeW
— ANI (@ANI) July 4, 2022
खबर अपडेट हो रही है…
INDIA
अग्निपथ स्कीम के खिलाफ दायर अर्जी पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग

सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ स्कीम के विरोध में दायर अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। शीर्ष अदालत में अगले सप्ताह गर्मियों की छुट्टियां समाप्त होने के बाद इस पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में एयरफोर्स कर्मियों का कहना है कि इसके चलते उनका करियर 20 साल की बजाय महज 4 साल का ही हो जाएगा। याचिका दायर करने वाले एडवोकेट एम.एल शर्मा ने कहा, ‘मेरी अर्जी है कि सरकार की ओर से भर्ती के लिए जो नोटिफिकेशन जारी किया गया है, उसे कैंसिल किया जाए। सरकार कोई भी स्कीम ला सकती है, लेकिन यहां बात सही और गलत की है। अब भी 70 हजार लोग ऐसे हैं, जो नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे हैं।’
यह अर्जी जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की वैकेशन बेंच के समक्ष दाखिल की गई है। याची का कहना है कि अग्निपथ स्कीम कम से कम उन लोगों पर लागू नहीं होनी चाहिए, जो पहले से चल रही भर्ती प्रक्रिया में शामिल हैं और नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मसले पर तत्काल सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि यह सैनिकों के करियर का सवाल है। वकील ने कहा कि कई बार कोशिशों के बाद भी रजिस्ट्री विभाग की ओर से तारीख नहीं दी गई है। शर्मा ने कहा कि अदालत को 14 जून को रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन को कैंसिल करना चाहिए, जिसमें अग्निपथ स्कीम का ऐलान किया गया था।
इस मामले में एक और अर्जी अधिवक्ता विशाल तिवारी की ओर से दायर की गई है। उन्होंने अदालत से मांग की गई है कि अग्निपथ स्कीम के परीक्षण के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कमेटी यह तय करे कि इस स्कीम का युवाओं के भविष्य और देश की सुरक्षा व्यवस्था पर क्या असर होगा। अग्निपथ स्कीम के विरोध में दायर याचिकाओं को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से भी एक परिवाद दाखिल किया गया है। इसमें सरकार ने कहा कि अदालत कोई भी फैसला सुनाने से पहले इस मसले पर सरकार का पक्ष भी सुन ले।
Source : Hindustan
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