बिहार ही नहीं भारत की राजनीति पर पटना के बीएन कॉलेज, पटना कॉलेज आदि का अपना खास प्रभाव रहा है। उत्तर बिहार का एलएस कॉलेज भी उनसे कमतर नहीं। एलएस कॉलेज के छात्रों-प्राध्यापकों ने बहुआयामी व्यक्तित्व व नेतृत्व कुशलता से दिल्ली की सत्ता का रास्ता तय किया है। एक समृद्ध इतिहास है। एक बार फिर इस कॉलेज के राजनीतिक योद्धा अपना रणकौशल दिखाएंगे। 2019 की चुनावी बिसात पर शह-मात के खेल में उनका दांव-पेच रोचक होगा। डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह, रामचंद्र पूर्वे, महाचंद्र प्रसाद, डॉ नरेन्द्र प्रसाद जैसे कई नाम इस चुनाव में अलग-अलग मोर्चों पर अपना प्रभाव छोड़ेंगे। ऑक्सफोर्ड विवि के बेलियोल कॉलेज की तर्ज पर 1899 में स्थापित मुजफ्फरपुर का एलएस कॉलेज कभी पटना विश्वविद्यालय से संबंद्ध था जो बाद में बीआरएबीयू का हिस्सा बना। प्रारंभ में यह कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबंद्ध था।
प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बड़े रत्न
देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद यहां की राजनीतिक विरासत के बड़े रत्न रहे। इस कॉलेज के प्राध्यापक के रूप में काम कर चुके राजेंद्र बाबू ने भारत के संविधान के निर्माण में योगदान दिया। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त केंद्रीय मंत्री के रूप में कुछ समय के लिए काम भी किया था। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 1952 में राज्यसभा सदस्य चुने गए और करीब 12 साल तक सांसद रहे। इससे पहले 1950 से 1952 तक एलएस कॉलेज में प्राध्यापक रहे।
तीन बार सीएम बने जगन्नाथ मिश्र
बिहार के मुख्यमंत्री रहे डॉ.जगन्नाथ मिश्र ने भी प्रोफेसर के रूप में इस कॉलेज में काम किया। 1975 में पहली, 1980 में दूसरी और 1989-1990 तक तीसरी बार मुख्यमंत्री रहे। वह 90 के दशक के बीच केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहे। इनके अलावा और भी कई शिक्षकों ने विविध रूप में राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभायी।
पूर्ववर्ती छात्राओं ने भी राजनीति को दी दिशा
इस कॉलेज की पूर्ववर्ती छात्राओं ने भी राजनीति को अलग दिशा दी। गोवा की वर्तमान राज्यपाल डॉ मृदुला सिन्हा इस कड़ी में बड़ा नाम है। कांग्रेस नेत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री रही कृष्णा शाही ने बेगूसराय से 1980, 1984 व 1991 में जीत दर्ज की। वहीं डॉ कुमकुम राय राज्यसभा सांसद रह चुकी हैं। केंद्रीय में भी मंत्रिमंडल भी रहे शामिल। इंदिरा गांधी के करीबी रहे दिग्विजय नारायण सिंह 1962 व 1967 में मुजफ्फरपुर से लोकसभा चुनाव जीते। 1977 में वैशाली से भी जीते थे। आरजेडी नेता रघुवंश प्र. सिंह ने पांच बार लोस चुनाव में वैशाली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। तीन बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे।
पूर्ववर्ती छात्रों ने भी हासिल किया मुकाम
एलएस कॉलेज के जिन पूर्ववती छात्रों ने राजनीति के अपना मुकाम हासिल किया, उनकी फेहरिस्त लंबी है। इनमें संसद तक पहुंचने वालों में सत्यनारायण सिन्हा, श्यामनंदन मिश्र, श्यामनंदन सहाय, एलपी शाही, दिग्विजय नारायण सिंह, रघुवंश प्रसाद सिंह, कृष्णा शाही व डॉ. कुमकुम राय आदि शामिल हैं।
कांग्रेस नेता सत्यनारायण सिन्हा प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चौथी लोकसभा के सदस्य रहे। लोकसभा में सदन के नेता, संसदीय कार्यों के मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी रहे। श्यामनंदन मिश्र पहली, दूसरी, पांचवीं और छठवीं लोकसभा सदस्य थे। 1954-1962 तक योजना के लिए केंद्रीय उपमंत्री के रूप में कार्य किया। 1979 में चरण सिंह के मंत्रालय में विदेश मंत्री भी रहे। श्यामनंदन सहाय कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मुजफ्फरपुर केंद्रीय निर्वाचन क्षेत्र से दो बार 1952 और 1957 में लोकसभा सदस्य चुने गए थे। दिग्गज कांग्रेस नेता ललितेश्वर प्रसाद शाही 1984 में मुजफफरपुर से सांसद रहे और बाद में उन्होंने शिक्षा एवं संस्कृति मंत्री के रूप में काम किया।
Input : Hindustan