बिहार के मधुबनी जिले में आसमान से गिरा पत्थर अब पटना पहुंच चुका है. पटना में सीएम नीतीश कुमार ने खुद पत्थर को बड़े ही करीब से देखा है. बताया जा रहा है कि यह एक उल्कापिंड हो सकता है. पत्थर का रंग काला है. और साइज में काफी बड़ा है. सीएम नीतीश कुमार ने इस पत्थर को छूकर देखा. इसके साथ ही साथ मैगनेट से इसका परीक्षण भी किया है. सीएम नीतीश कुमार की पत्थर के साथ कुछ तस्वीरें आप देखिए. फिर आपको समझ आ जाएगा कि ये पत्थर कितना आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
दरअसल, बिहार के मधुबनी में बाढ़ से परेशान लोगों की परेशानी एक अजीबोगरीब पत्थर ने बढ़ा दी. लौकही थाना स्थित कौरयाही गांव के भगवानपुर चौड़ी में धान के खेत में अचानक आसमान से एक 15 किलो का पत्थर गिरा. उसके गिरने की आवाज लगभग पांच किलोमीटर तक सुनाई दी. माना जा रहा है कि यह पत्थर किसर दूसरे ग्रह का टुकड़ा है.
मेरा गृह ज़िला मधुबनी अलौकिकता से भरा है। एक उदाहरण मैं हूँ और दूसरा ये पत्थर जो आसमान से गिरा है। इस पर चुंबक भी चिपक रहा है। प्रशासन ने इसे कोषागार में रखा है। फ़ोरेंसिक जाँच को भेजा जाएगा।
इस पर विज्ञान से लेकर भक्ति तक के आधे आधे घंटे का प्रोग्राम बन सकता है। संपर्क करें। 😜 pic.twitter.com/sVTsudpVtX
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) July 23, 2019
लोगों के मुताबिक यह भी कहा जा रहा है कि यह किसी उल्का से गिरा अवशेष भी हो सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे पटना स्थित बिहार संग्रहालय में रखने की बात कही है.
ग्रामीणों की मानें तो खेत में आसमान से तेज आवाज के साथ पत्थर गिरा था. खेत में कुछ फीट नीचे धंस गया. यह दावा है कि पत्थर गिरने वाली जगह पर कुछ पल के लिए सफेद धुंआ देखा गया. पत्थर धंसने वाली जगह तत्काल गर्म पाई गई थी. इस अजीबोगरीब घटना से आश्चर्यचकित प्रत्यक्षदर्शियों ने तत्काल पत्थर धंसने वाली जगह पर खोदाई कर उक्त पत्थर को बाहर निकाला.
संभावित उल्का पिण्ड का अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार
संभावित उल्का पिण्ड दिनाँक 22/07/2019 को मधुबनी के लौकही अंचल के महादेवा में मिला था pic.twitter.com/Xwpi2YvuTK— IPRD Bihar (@IPRD_Bihar) July 24, 2019
घटना की सूचना मिलने पर लौकही थानाध्यक्ष मौके पर पहुंच कर पत्थर को अपने कब्जे में लेकर उसे थाना ले आए. बाद में डीएम के आदेश पर सोमवार की रात अंचलाधिकारी ने उसे जिला कोषागार में ले जाकर सुरक्षित रखवा दिया था. हालांकि इससे पूर्व स्थानीय लोगों ने पत्थर को निकट के ही एक पीपल वृक्ष के नीचे रखकर पूजा अर्चना शुरू कर दी थी.
Input : Live Cities