इस बार मकर संक्रांति पर अमृत सिद्धि, सर्वार्थसिद्धि और रवि योग रहेगा। ये तीनों ही योग शुभ माने गए हैं। इस योगों में किया गया दान-पुण्य और अनुष्ठान अभीष्ट फल देने वाला होगा।
15 जनवरी को सुबह होगा महापुण्य काल
ज्योतिषविद् विमल कुमार लाभ बताते हैं कि 14 जनवरी की रात करीब आठ बजे सूर्य देव धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य का राशि परिवर्तन सूर्यास्त के बाद होगा, इसके कारण पुण्यकाल अगले दिन सुबह श्रेष्ठ रहेगा। शास्त्रों में बताया गया है कि जिस रात्रि में सूर्य, मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उसके अगले दिन को पुण्यकाल माना जाता है। इसलिए 15 जनवरी की सुबह ही पवित्र जलाशयों में स्नान करने के बाद तिल-गुड़ का दान किया जाएगा।
सुख-समृद्धि का है दिन
रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पंडित रमेश मिश्र बताते हैं कि सनातन धर्म में मकर संक्रांति को मोक्ष की सीढ़ी बताया गया है। इस दिन सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जाते हैं और खरमास खत्म हो जाता है। मांगलिक कार्य फिर शुरू हो जाएंगे। प्रयाग में कल्पवास भी मकर संक्रांति से शुरू होता है। हरिसभा चौक स्थित राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित रवि झा बताते हैं कि सूर्य देव जब मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में रहते हैं, तब उत्तरायण रहता है। जब सूर्य शेष राशियों कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में रहते हैं तो दक्षिणायण रहता है। यह सुख-समृद्धि का दिन माना जाता है। चूंकि गंगा-स्नान को मोक्ष का मार्ग माना जाता है। इसलिए लोग इस तिथि पर गंगा स्नान के बाद दानादि करते हैं।
ऐसे करें पूजा
– मकर संक्रांति के दिन सुबह जगने के बाद स्नानादि करें।
– यदि संभव हो तो पवित्र जलाशयों में स्नान करें। इसके बाद तांबे के लोटे में लाल फूल और अक्षत डालकर सूर्य देव को जल दें।
– तुलसी को जल चढ़ाएं और परिक्रमा करें।
– शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर काला तिल व गुड़ चढ़ाकर जल अर्पित करें। गुड़ और काले तिल का दान भी करें।
– भगवान को गुड़-तिल के लड्डू का भोग लगाएं और प्रसाद बांटे।
इनपुट : दैनिक जागरण