मधुबनी पेंटिंग के क्षेत्र में दुनिया में विशिष्ट पहचान बनाने वाले मधुबनी को एक और गौरव प्राप्त होने वाला है। बिहार के इस जिले को मखाना का जीआइ टैग (विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के उत्पाद का नाम) मिलने वाला है। आंतरिक व्यापार एवं उद्योग संवर्धन विभाग (डीपीआइआइटी) की ओर से शीघ्र ही इसकी घोषणा होने वाली है।

#AD

#AD

माना जा रहा है कि मधुबनी का दावा मखाना पर अन्य जिलों की तुलना में भारी रहा। देश-विदेश में जहां भी मखाना की बिक्री होती है, उससे मधुबनी का नाम जोड़ा जाता है। डीएम शीर्षत कपिल अशोक की मानें तो जल्‍दी ही मधुबनी को मखाना का जीआइ टैग मिल जाएगा। मधुबनी को सबसे अधिक टक्कर दरभंगा से मिली।

दावा इसलिए रहा मजबूत

मधुबनी में ही मखाना की खेती की शुरुआत हुई थी। 1954 के बिहार गजेटियर में इसका जिक्र है। मखाना मधुबनी से ही निकलकर देश के अन्य स्थानों पर फैला। यहां इसकी बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती थी।

दरभंगा महाराज के शासनकाल में मखाना की खेती दरभंगा और मधुबनी जिले में बड़े पैमाने पर होती थी। अनुमानत: इसकी खेती सन् 1800 से पूर्व शुरू हुई। दरभंगा महाराज का काल 800 ई से पूर्व ही है। डॉ पीसी राय चैधरी द्वारा संपादित व 1954 में प्रकाशित बिहार गजेटियर के 11वें संस्करण के अनुसार तब के दरभंगा जिले के मधुबनी सदर अनुमंडल में मखाना की खेती की शुरुआत हुई थी। तब किसानों को तीन रुपये प्रति एकड़ मुनाफा होता था।

मधुबनी से देश-विदेश में फैला मखाना

मखाना मधुबनी से होते हुए पाकिस्तान, चीन, कनाडा, मलेशिया, बांग्लादेश समेत अन्य देशों तक पहुंच चुका है। लेकिन इसकी व्यावसायिक खेती केवल भारत में ही होती है। बिहार के किसानों को इसका अधिकाधिक लाभ दिलाने के लिए मखाना की मार्केटिंग और ब्रांडिंग की जा रही है। एक बार किसी उत्पाद को जीआइ प्रमाणन मिलने के बाद कोई भी व्यक्ति या कंपनी इस इलाके के बाहर के मखाना को कानूनी तौर पर इस नाम से नहीं बेच सकेगा। जीआइ विश्व व्यापार संगठन के कानून के तहत आता है।

बिहार में ही सर्वाधिक खेती

देश में लगभग 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने की खेती होती है। इसमें 80 से 90 फीसद उत्पादन बिहार में होता है। इसके उत्पादन में 70 फीसद हिस्सा मिथिलांचल का है। इसमें मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, अरिरया, कटिहार और समस्तीपुर जिले आते हैं। लगभग सवा लाख टन बीज मखाने का उत्पादन होता है। इससे 40 हजार टन मखाने का लावा प्राप्त होता है। एक आंकड़े के अनुसार, देश में मखाने का कारोबार करीब छह सौ करोड़ रुपये का है। मधुबनी जिले में ही करीब 11 से ज्यादा तालाब हैं।

पोषक तत्वों की बदौलत बढ़ा दायरा

मखाना में अधिक मात्रा में पोषक तत्व पाए जाने के कारण मांग बढऩे लगी तो खेती भी बड़े पैमाने पर होने लगी। इसमें प्रति 100 ग्राम मखाने में 9.7 फीसद प्रोटीन, 75 फीसद कार्बोहाइड्रेट, आयरन और वसा के अलावा 382 किलो कैलोरी मिलती है। इसमें दूध और अंडे के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है।

Input : Dainik Jagran

Photo Credit : Your Food Fantasy

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.