दीपों का त्योहार दीपावली 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दीपों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है। वहीं कुम्हार भी तेजी से दीया बनाने में जुट हुए है। हालांकि इलेक्ट्रॉनिक दीये बाजार में उपलब्ध होने के बावजूद मिट्टी के दीये की मांग बरकरार है। बदलते ट्रेड के साथ लोग डिजाइनर दीये भी खूब पसंद करने लगे है। वहीं पारंपरिक दीयों की खरीदारी अधिक हो रही है। धन की देवी माता लक्ष्मी व गणेश का स्वागत करने के लिए दीयों के साथ-साथ कलश का भी आर्डर लोग देने लगे है। ओम व स्वास्तिक लिखा रंगीन कलश अधिक पसंद किया जा रहा है। इस बार मिट्टी की कीमत बढ़ने से दीये व कलश महंगे हो गए है, मगर आस्था के आगे महंगाई फीकी नजर आ रही है। पड़ाव पोखर के कुम्हार जयप्रकाश कुमार बताते है कि पहले जहां मिट्टी 2500-3500 रुपये ट्रैक्टर मिलता था, अब बढ़कर चार-पांच हजार हो गया है। रंगीन दीया महंगा होने से सिर्फ घर की चौखट व रंगोली सजाने के लिए लोग ले रहे है। उन्होंने बताया कि रंगीन डिजाइनर दीये 5-60 रुपये तक है। खादीभंडार रोड के बबलू पंडित ने बताया कि मिट्टी के दीये की डिमांड बढ़ी है। उन्होंने 50 हजार साधारण व 500 रंगीन डिजाइनर दीया तैयार किया है।

 

दीया व कलश के दाम में बढ़ोतरी

60-70 रुपये सैकड़ा बिकने वाला दीया 70-120 रुपये सैकड़ा तो कलश की कीमत 25 रुपये से बढ़कर 40-45 रुपये हो गई है।

धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण दीयें पं. सुनील झा व पं .जयकिशोर मिश्र बताते है कि दीपक और इसकी ज्योति जीवन के समान ही ज्वलंत है। पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु इन सभी पांचों तत्वों से दीपक बनता और प्रकाशित होता है। दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध होता है।

Input : Hindustan

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