MUZAFFARPUR : नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सेकेंडरी एग्रीकल्चर रांची के वैज्ञानिक एवं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी के वैज्ञानिक साथ मिलकर लीची के सूखे छिलके और बीज पर शोध करेंगे। इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। केंद्र के निदेशक डॉ. विकास दास ने कहा कि लीची के छिलके से खाद और फिशरीज फीड सहित अन्य चीज पहले से ही बन रही हैं। अब लीची के छिलके एवं बीज से बीमारियों के इलाज में दवा पर शोध होगा। बता दें कि शोध के लिए चाइना लीची का छिलका एवं बीज बाहर से मंगवाया गया है।
मालूम हो कि इसे केंद्र परिसर में सूखाया जा रहा है। 2 दिन बाद मुशहरी स्थित अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक रांची के इंस्टीट्यूट फॉर सेकेंड्री एग्रीकल्चर में सूखे लीची के छिलके और बीज को लेकर जाएंगे। बायो मेडिकल पद्धति से सूखे छिलके और बीज में पाए जाने वाले तत्व की खोज की जायेगी। बायो केमिकल सिस्टम से इंसान की विभिन्न बीमारियों के इलाज में काम आने वाली दवा पर शोध किया जाएगा। डॉ. विकास दास ने जानकारी दी कि इस शोध में समय लग सकता है। बता दें कि मुशहरी स्थित अनुसंधान केंद्र में इसके शोध के लिए तकनीक की व्यवस्था नहीं है।इस वजह से इसे रांची स्थित केंद्र में भेजा जाएगा।