मुजफ्फरपुर : पारू प्रखंड की चांदकेवारी पंचायत को वैसे तो ओडीएफ घोषित किया जा चुका है, लेकिन पंचायत के गांवों में आज भी लोग खुले में शौच जा रहे हैं। 30 हजार वाली पंचायत में साढ़े तीन हजार परिवार रहते हैं जिसमें 13 सौ परिवारों में शौचालय नहीं है और इन परिवारों के लोग सुबह- शाम खुले में शौच जाने को मजबूर है। ग्रामीणों का कहना है कि गरीबी और अशिक्षा के साथ ही लाभुकों के खाते पर पैसा भेजने वाली बैंकिंग सिस्टम बाधक है।
ऐसे लोग नहीं समझ पाते कि खुले में शौच जाने से संक्रमण का शिकार होना पड़ता है। सामाजिक प्रतिष्ठा में गिरावट आती है। अन्य कई नुकसान उठाने पड़ते हैं। दूसरी ओर आर्थिक तंगी के कारण आज भी अधिकतर परिवार शौचालय बनवाने में असमर्थ हैं। हालांकि सरकार घर- घर शौचालय निर्माण करवाने को संकल्पित है, मगर शौचालय निर्माण के बाद बैंक में एनपीसीआइ करवाए बगैर खाते पर राशि नहीं जा पा रही है जिससे लाभुकों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने महाजन से कर्ज लेकर शौचालय का निर्माण कराया, लेकिन आज तक प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं होने से वे लोग निराश हैं। चांदकेवारी गांव के लालबाबू पटेल, नीतीश कुमार कहते हैं कि गांव में 40 फीसद लोगों के घर में शौचालय है। 25 फीसद लोगों ने नए शौचालय का निर्माण कराया है जिसमें आठ फीसद लोगों का प्रोत्साहन राशि नहीं मिल सकी। पूर्व सरपंच राजकुमार दास कहते हैं कि खुले में शौच से मुक्ति अभियान जरूर चलाया जा रहा है। लोगों में चेतना भी आने लगी है। बावजूद एक हजार से अधिक परिवार ऐसे हैं जो शौचालय निर्माण करवाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
बीडीओ संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि सरकार खुले में शौच से मुक्ति अभियान को हर हाल में पूरा कर रही है। लाभुकों को बैंक में एनपीसीआइ कराना जरूरी है ताकि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद प्रोत्साहन राशि खाते पर जा सके। जिन परिवारों में शौचालय निर्माण नहीं कराया गया उन्हें भी जागरूक किया जा रहा है।
इस बारे में ग्राम पंचायत राज चांदकेवारी मुखिया गुडिय़ा कुमारी ने कहा कि चांदकेवारी पंचायत नक्सल प्रभावित पंचायत है जहां दलित, महादलित और अतिपिछड़ा समाज में शिक्षा की कमी है। काफी प्रयासों के बाद भी एक हजार से अधिक परिवार हैं जो शौचालय निर्माण करवाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। गरीबी भी कारणों में एक है। इस स्थिति में अधिकारियों को समीक्षा कर वैसे परिवारों में शौचालय निर्माण कराने पर विचार करना चाहिए।
Input : Dainik Jagran