मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) लगातार ट्वीट कर ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) पर निशाना साध रहे हैं. इस कड़ी में किया गया उनका एक ट्वीट चर्चा का विषय बना हुआ है. इसमें उन्होंने लिखा है, ‘महात्मा गांधी को मारने के लिए नाथूराम गोडसे ने जिस रिवॉल्वर का इस्तेमाल किया, उसे ग्वालियर के परचुरे ने उपलब्ध कराया था.’ इस ट्वीट में उन्होंने सिंधिया का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका निशाना सिंधिया ही माने जा रहे हैं, क्योंकि वह ग्वालियर (Gwalior) राजघराने से ही हैं.
बीजेपी जाने पर दिग्विजय ने दी सिंधिया को बधाई
इससे पहले दिग्विजय सिंह ने तंजिया लहजे में ट्वीट कर ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी में जाने पर बधाई भी दी है. सिंह ने ट्वीट किया, ‘मैं मानता हूं कि सिंधिया को अमित शाह या निर्मला सीतारमण की जगह लेनी चाहिए. मुझे उनकी प्रतिभा के बारे में पता है, वह निश्चित रूप से बेहतर काम करेंगे. हो सकता है कि वह मोदी-शाह के संरक्षण में आगे बढ़ें. आपको हमारी शुभकामनाएं महाराज.’
I agree with Pawan he should replace Amit Shah or Nirmala Seetharaman and knowing his talent he would certainly do a better job then either of them. May he grow under ModiShah Tutelage. Our best wishes to you Maharaj.
— digvijaya singh (@digvijaya_28) March 11, 2020
क्या है पूरी कहानी?
अपने ट्वीट में दिग्विजय ने जिस परचुरे का नाम लिया, उनका पूरा नाम डॉ. डीएस परचुरे था. वह ग्वालियर में एक हिंदू संगठन के प्रमुख थे. ऐसा बताया जा रहा है कि डॉ. परचुरे ने अपने एक परिचित के जरिये पिस्टल का सौदा नाथूराम गोडसे को 500 रुपये में रिवॉल्वर मुहैया करवाई थी. इसके बाद उसने स्वर्ण रेखा नदी के किनारे दस दिनों तक फायरिंग की प्रैक्टिस भी की. हाथ सेट हो जाने पर वो महात्मा गांधी की हत्या के लिए दिल्ली रवाना हो गया था.
उस दौरान सिंधिया रियासत में बंदूक या पिस्टल खरीदने के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं होती थी, इसलिए गोडसे ने रिवॉल्वर खरीदने के लिए ग्वालियर को ही चुना था.
Also the revolver by which Godse killed Mahatma Gandhi was given to him by one Parchure from Gwalior. Need to do some more research about who was Parchure.
— digvijaya singh (@digvijaya_28) March 11, 2020
ग्वालियर राजघराने के हैं सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश के प्रतिष्ठित ग्वालियर राजघराने से हैं. ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. सिर्फ 10 साल में ही उनका मोहभंग हो गया और 1967 में वह जनसंघ में चली गईं. विजयराजे सिंधिया के कारण ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ मजबूत हुआ और 1971 में इंदिरा गांधी की लहर के बावजूद जनसंघ यहां की तीन सीटें जीतने में कामयाब रहा. खुद विजयराजे सिंधिया भिंड से, अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से और विजय राजे सिंधिया के बेटे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया गुना से सांसद बने.
पिता की मौत के बाद कांग्रेस में हुए एक्टिव
2001 में एक हादसे में माधवराव सिंधिया की मौत हो गई, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता की विरासत संभालते रहे और कांग्रेस के मजबूत नेता बने रहे. गुना सीट पर उपचुनाव हुए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद चुने गए. 2002 में पहली जीत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी चुनाव नहीं हारे थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें करारा झटका लगा.
कभी उनके ही सहयोगी रहे कृष्ण पाल सिंह यादव ने ही सिंधिया को हरा दिया. इसके बाद लगातार पार्टी में हासिए पर रहने के कारण 10 मार्च 2020 को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
Input : News18