बिहार के मुजफ्फरपुर में कुछ मुस्लिम परिवारों ने हिन्‍दू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल पेश की है. यहां के तीन दर्जन मुस्लिम परिवारों ने पूरे देश को सामाजिक सौहार्द्र का संदेश दिया है।

इन मुस्लिम परिवारों ने बकरीद के पहले दिन कुर्बानी न देने का फैसला किया है. खास बात यह है कि सावन के आखरी सोमवार होने की वजह से इन मुस्लिम परिवारों ने यह निर्णय लिया है. इनके इस फैसले का पूरे प्रदेश में चर्चा हो रही है. लोग इन परिवारों की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।

बाबा गरीबनाथ मंदिर के आसपास रहते हैं सभी परिवार

बता दें कि बाबा गरीबनाथ मंदिर पूरे मुजफ्फपुर जिले में प्रसिद्ध है. सावन की अंतिम सोमवारी पर जलाभिषेक के लिए डेढ़ से दो लाख तक कांवरिए और शिव भक्त मंदिर में उमड़ते हैं. यहां बड़े पैमाने पर मेला लगता है. हर गली और सड़क कांवरियों से पट जाती है. ऐसे में उस दिन मंदिर के समीप के मोहल्ले में कुर्बानी न दी जाए, इसके लिए वार्ड पार्षद मो. शेरू के भाई मो. चांद और वार्ड 21 के पार्षद केपी पप्पू ने लोगों से बातचीत की।

मंगलवार को यहां के मुस्लिम परिवार करेंगे कुर्बानी
बाजार मस्जिद कमेटी के सचिव मो आजाद ने बताया कि कुर्बानी से कांवरिए और ि‍शिवभक्‍तों को परेशानी होगी इसलिए मोहल्ले के सभी मुस्लिम परिवारों ने निर्णय लिया कि बकरीद तीन दिनों तक चलने वाला पर्व है यदि ऐसे में पहले दिन कुर्बानी न की जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. लिहाजा, पहले दिन के बदले दूसरे दिन मंगलवार को यहां के मुस्लिम परिवार कुर्बानी देंगे।

जानकारी के मुताबिक, ये सभी मुस्लिम परिवार मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ मंदिर के आसपास के रहने वाले हैं. बकरीद के दिन कुर्बानी न देने का ऐलान शनिवार को किया गया. इसका निर्णय बाबा गरीबनाथ मंदिर के समीप स्थित छाता बाजार मस्जिद के इमाम मौलाना शहीदुज्जमां की अध्यक्षता में ली गई है।

Input : News18

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