इस्लाम धर्म में रमजान (Ramadan) के दौरान रोजे का बहुत महत्व है. रमजान के पूरे गर्मी भरे महीने भूखे-प्यासे रहना और वक्त पर नमाज़ अदा करना. समय पर सेहरी खाना और शाम के समय सही वक्त पर इफ्तार लेना. रमजान का ये पूरा महीना मुस्लिमों के लिए बहुत खास होता है, लेकिन राजस्थान के एक शख्स ने अपना रोजा सिर्फ इसलिए तोड़ दिया क्योंकि एक महिला को खून की ज़रुरत थी.

रमज़ान के महीने में गरीबों को दान करना और मदद करना अच्छा माना जाता है, लेकिन किसी जरुरतमंद के लिए रोज़ा तोड़ने जैसी घटना बहुत कम देखी है.

दरअसल, राजस्थान के अलवर में एक प्रेग्नेंट महिला को खून की सख्त जरुरत थी. अशरफ खान नाम के इस व्यक्ति ने इंसानियत दिखाई और महिला को खून देने के लिए अपना रोजा तोड़ दिया.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सावित्री देवी नाम की इस गर्भवती महिला का हीमोग्लोबिन बहुत लो था, इसे तुंरत खून की जरुरत थी.

अशरफ खान के मुताबिक, “मुझे फोन पर मैसेज आया कि एक आदमी को अपनी साली के लिए तुंरत बी ब्लड ग्रुप का खून चाहिए. मैंने तुरंत उस आदमी को फोन किया और कहा कि मैं शाम को इफ्तार के बाद आ जाउंगा, लेकिन उस आदमी ने मुझसे कहा कि डॉक्टर ने जितना जल्दी हो सके खून मांगा है, क्योंकि उसकी साली प्रेग्नेंट है.”

फिर क्या था अशरफ खान तुंरत हॉस्पिटल पहुंचे और उन्होंने अपना रोज़ा तोड़ महिला को खून देकर उसकी और उसके बच्चे की जान बचाई.

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