बस संचालकों की द’बंगई के आगे परिवहन, पुलिस व प्रशासन बे’बस है। इनकी म’नमानी का खा’मियाजा बस में सफर करनेवालों से लेकर अन्य राहगीर तक भु’गत रहे हैं। ये परिवहन के कायदे-कानून को अपने रसूख के दम पर रौं’दते हैं। राजनीतिक गलियारे तक पहुंच से प्रशासन और परिवहन अधिकारी इन पर कार्र’वाई की हि’म्मत नहीं कर पाते। बैरिया बस पड़ाव से ही इनकी द’बंगई शुरू हो जाती है।

पड़ाव के बाहर मुख्य सड़क पर ही बस रोक कर यात्रियों को बैठाते हैं। कंडक्टर यात्रियों का हाथ पकड़ कर जबरन बस में बैठा लेते हैं। विरोध पर दु‌र्व्यवहार तक करते। इससे जाम की समस्या भी आम है। आए दिन बस संचालक आपस में विवाद भी करते हैं। बैरिया बस पड़ाव में मारपीट व हत्या तक हो चुकी है।

बैरिया गोलंबर पर बनी रहती हादसे की संभावना

पड़ाव से बस चलने के बाद बैरिया गोलंबर के पास अनधिकृत रूप से इसे रोका जाता है। एक बार में कई बसों को यहां रोक देने से बाइक व अन्य छोटे वाहन सवार के साथ हादसे की संभावना बनी रहती है। ऑटो चालकों की मनमानी से भी हादसे की आशंका रहती। इसे रोकने की पहल प्रशासन, पुलिस व परिवहन अधिकारियों की तरफ से नहीं हो रही।

बैरिया बस पड़ाव की नहीं बदली सूरत, बदहाली बरकरार

बैरिया बस पड़ाव की बदहाली दूर नहीं हो पा रही है। यहां समस्याओं को झेलते हुए सफर की मजबूरी है। पेयजल, बिजली, शौचालय आदि की समस्या कायम है। पिछले दिनों जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष की अध्यक्षता में बैरिया बस पड़ाव समिति की बैठक में यात्री सुविधा को लेकर कई अहम फैसले लिए गए थे। पेयजल, सड़क, नाला व जलजमाव की समस्या दूर करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए, लेकिन अब तक इन पर अमल नहीं हो सका है।

Input : Dainik Jagran

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