पताही हवाई अड्डे से हवाई यात्रा अब भी सपना ही है। इस हवाई अड्डा से लोग नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु समेत विभिन्न महानगरों की उड़ान भरेंगे, यह सपना वर्षों से दिखाया जा रहा है। चुनावों में मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों के लोगों से ये वादे किए जाते रहे हैं कि वे उचित दर पर फ्लाइट का टिकट बुक कर यहां से हवाई जहाज की यात्रा कर सकेंगे। इसे पर्यटन के विकास की संभावनाओं को लेकर भी जरूरी समझा जा रहा था। लेकिन, वर्षों पुराने इस वादे को पूरा करने के लिए आज तक कोई ठोस पहल नहीं की जा सकी है।
पिछले वर्ष उड़ान शुरू कराने को खूब दिखावे हुए, लेकिन परिणाम सिफर रहा
पताही हवाई अड्डे से उड़ान के लिए पिछले वर्ष के अंत तक खूब दिखावे हुए। व्यावसायिक उड़ान की संभावनाओं को तलाशने के लिए राइट्स कंपनी ने सर्वे भी किया था। सर्वे में फिर कमियां बताते हुए कंपनी ने रनवे की लंबाई बढ़ाने के लिए कहा। इसके लिए अतिरिक्त जमीन चाहिए। लेकिन, अधिग्रहण की बात आते ही सारी कवायदें थम गईं। दरअसल, हवाई अड्डे के एक तरफ एनएच तो दूसरी तरफ घनी आबादी है। ऐसे में भूमि का अधिग्रहण आगे भी आसान नहीं है।
उपलब्ध भूमि में 1350 मीटर का रनवे ही बनेगा, बड़े विमान नहीं उड़ सकते अभी 1220 मीटर का रनवे है, बढ़ाकर 1350 मीटर किया जा सकता है। कंपनी के मुताबिक इतने मीटर के रनवे पर बड़े विमान की उड़ान संभव नहीं है। बड़े विमान की उड़ान के लिए कम से कम 600 मीटर रनवे और चाहिए। जमीन अधिग्रहण में बाधाओं के मद्देनजर छोटे विमान की संभावनाएं तलाशी गईं। जिला प्रशासन की ओर से नागरिक उड्डयन मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी गई। लेकिन, रिपोर्ट मंत्रालय की फाइलों में ही दबी हुई है।
पताही (मुजफ्फरपुर) हवाई अड्डा
वर्तमान स्थिति पर एक नजर
- इस समय तक इस हवाई अड्डे पर 1220 मीटर का रनवे है
- किसी बड़े विमान की उड़ान के लिए 1800 मीटर जमीन चाहिए
- पूर्व में सौ मीटर और पश्चिम में 135 मीटर लंबी जमीन ही है
- इसकी चहारदीवारी 8 फीट ऊंची है, जबकि 12 फीट की दरकार
- हैंगर भी काम का नहीं, दोबारा बनाना होगा।
छोटे विमान के लिए सुविधाएं उपलब्ध लेकिन इसमें भी सिर्फ बयानबाजी हुई
रनवे की लंबाई की बात तो छोड़ दें तो एयर ट्रैफिक सिग्नल एटीएस के अलावा अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। 60 सीटों के विमान के बदले उड़ान योजना के तहत 9, 19 या 40 सीटों वाले विमानों की सेवा शुरू हो सकती थी। इसकी संभावनाओं को तलाशने के साथ ही उड़ान के लिए निजी कंपनियों को चिह्नित कर वार्ता की प्रक्रिया शुरू करने की भी बात हुई। लेकिन, बात आगे नहीं बढ़ी।
उड़ान के लिए भूमि कम पड़ने पर छोटे विमान की संभावना तलाशी गई, वह भी फलीभूत नहीं हुई
उम्मीदवार जीत के बाद उड़ान शुरू कराने के वादे कर रहे तो जनता पिछले वादों की याद दिला रही
उड़ान के लिए भूमि कम पड़ने पर 5 वर्ष पहले यहां से छोटे विमान की संभावना तलाशी गई थी। कहा गया कि 40 सीटों वाले छोटे व्यावसायिक विमान उड़ाए जा सकते हैं। रनवे के मजबूतीकरण, बिल्डिंग निर्माण समेत अन्य कार्यों के लिए 60 करोड़ रुपए की स्वीकृति भी हुई। लेकिन, योजना अब तक फलीभूत न हुई। बल्कि, यहां रनवे पर विमान के बदले धूल उड़ रही है। इस बार फिर चुनाव में यह मुद्दा गूंजने लगा है। उम्मीदवार लोगों से चुनाव में जीत के बाद उड़ान शुरू कराने के वादे कर रहे हैं तो जनता पिछले चुनाव के वादे की याद दिला रही है।
हवाई उड़ान से खुलता निवेश का द्वार टूरिज्म से रोजगार के अवसर भी बनते
उड़ान से जिले में निवेश के द्वार खुलते। रोजगार की संभावनाएं बनतीं। मुजफ्फरपुर सूती वस्त्र का दशकों से हब है। नेपाल के भी व्यापारी यहां आते हैं। भगवान बुद्ध की कर्मस्थली और भगवान महावीर की जन्मस्थली होने के कारण लोकतंत्र की जननी वैशाली का प्राचीन और वैभवशाली इतिहास है। वैशाली में अब भी टूरिज्म का वैसा विकास नहीं हुआ। नॉर्थ बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कई बार केंद्र सरकार को पत्र लिखा।
Input : Dainik Bhaskar