जेल प्रशासन अपने कार्य प्रणाली को लेकर काफी चर्चा में बना हुआ है.बता दे कि जेल में बंद एक छात्र को आदेश के बाद भी इंटर की परीक्षा में शामिल नहीं कराने पर किशोर न्याय परिषद (जेजे बोर्ड) ने जेल अधीक्षक से स्पष्टीकरण पूछा है। छात्र को किशोर होने की दावेदारी के मामले की सुनवाई जेजे बोर्ड में हो रही है। इस बीच दो फरवरी से उसकी इंटर की परीक्षा शुरू हो रही थी। छात्र की ओर से दिए गए आवेदन पर जेजे बोर्ड ने उसे इंटर की परीक्षा में उपस्थित कराने के लिए जेल अधीक्षक को आदेश दिया था। इसका पालन नहीं किया गया । वह दो व सात फरवरी को आरडीएस कालेज स्थित केंद्र पर परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो सका।
आम्र्स एक्ट मामले में मोतीपुर से किया गया था गिरफ्तार
छात्र के अधिवक्ता सुमित कुमार सुमन ने बताया कि 15 जनवरी को मोतीपुर थाना पुलिस ने सिंगैला पुल के पास से अपराध की साजिश रचते आधा दर्जन युवकों को अवैध आग्नेशास्त्र के साथ गिरफ्तार किया था। मोतीपुर के प्रभारी थानाध्यक्ष अमित कुमार ने प्राथमिकी दर्ज की थी। गिरफ्तार किए जाने वालों में यह छात्र भी शामिल था। पुलिस ने उसकी उम्र 19 साल बताकर कोर्ट के समक्ष पेश किया । कोर्ट ने सभी आरोपितों के साथ जेल भेज दिया । इसके बाद छात्र की ओर से उसके किशोर होने का दावा करते हुए कोर्ट में अर्जी दी गई। इसके समर्थन में छात्र का शैक्षणिक प्रमाणपत्र भी कोर्ट में दाखिल किया गया। कोर्ट ने इस अर्जी को सुनवाई के लिए जेजे बोर्ड में भेज दिया। वहां इसकी सुनवाई चल रही है। 16 फरवरी सुनवाई की अगली तिथि है। इस दौरान उसके स्वजनों की ओर से जेजे बोर्ड में एक अन्य अर्जी दाखिल की गई। इसमें उसे इंटर की परीक्षा में शामिल कराए जाने के लिए जेल अधीक्षक को आदेश देने की प्रार्थना की गई।
गौरतलब है कि एक तरफ अपने कार्य मे हस्तक्षेप को लेकर नगर थाना में दो बेगुनाहों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाया है। वही बोर्ड के द्वारा दिए गए आदेश को नजरअंदाज कर एक छात्र का साल खराब कर दिया। ऐसे में उक्त छात्र गलत रास्ता के तरफ भी अग्रसर हो सकता है।