किसानों के जीने का सहारा उसके खेतों का फ़सल ही होता है और जब फ़सल ही बर्बाद हो जाये इससे बड़ी त्रास्दी किसानों के लिये क्या हो सकती है.

खेतों में किसान फ़सल के साथ कई अरमानों की बीज बोते है, किसी को बेटी का लग्न कराना होता है तो उसी पैसे से किसी की बीमारी की इलाज़ की आस होती है, लेकिन इस बार बेमौसम बारिश और ओले के वज़ह से सब धरा का धरा रह गया और मौसम के मार से किसान माथा पीट रहे है, किसी के पूछने पर फफक कर रोने लगते है कि कहा से इंतज़ाम हो पायेगा पैसो का.

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दरअसल फ़ागुन – चैत्र में बेमौसम बारिश ने फ़सल के साथ साथ कई अरमानों को भी बर्बाद कर दिया है, लोग बारिश की बूंदे परते ही रोने लगने लगते है की आये हो दादा !! इस गरीब के अरमानों का आसरा क्या बनेगा, जिस फ़सल को बेच कर साल भर के कामों का इंताजाम करना था वो तो बारिश की भेंट चढ़ गयी, सच में मौसम के इस मार ने किसानों के परिवार के दो वक्त की रोटी पर आफ़त कर दिया, कभी नीलगाय फ़सल को बर्बाद कर देते है तो कभी बेमौसम बारिश इस बेरहम दुनिया मे किसानों को भी बहुत झेलना पड़ता है..

खैर ! किसानों के लिये विपदा है और विपदा में किसानों का सहारा बस सरकार बन सकती है, सरकार को सही वक्त पर किसानों का सूद लेना चाहिए, उन्हें ढाढस देना चाहिए और संकट की इस विषम परिस्थितियों में हर सम्भव मदद देनी चाहिए, किसी को बेटी की शादी की फिक्र सता रही तो किसी को इलाज कराना है, जो किसान अन्नदाता कहलाता है उसके घर में ही अनाज का अकाल पड़ गया कुदरत ने सब तबाह कर दिया

Team | Abhisek Ranjan

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