पूरे देश में इन दिनों एनआरसी, सीएबी को लेकर हं’गामा मचा हुआ है मगर लोग इस मामलों को समझने के लिए तैयार नहीं है। गृहमंत्री अमित शाह भी संसद में इन बिलों पर चर्चा के दौरान ये कह चुके हैं कि भारत में रहने वालों को इस बिल से कोई ख’तरा नहीं है उसके बावजूद राजनीतिक दल अपनी-अपनी रोटी सेंकने के लिए भीड़ को उग्र कर रहे हैं।

बीते कुछ दिनों से NRC, CAB को लेकर आंदो’लन जारी है। दिल्ली से लेकर यूपी, असम, बंगाल और कई राज्यों में लोग सड़क पर उतर आए हैं। हम आपको यहां बता रहे हैं कि क्या है NRC?, क्या है CAB? और कौन से लोग शरणार्थी कहे जा रहे हैं, किन लोगों को भारत में घुसपैठि’या कहा जा रहा है।

NRC( National Register of Citizens)

असम में NRC को सबसे पहले 1951 में नागरिकों, उनके घरों और उनकी संपत्तियों को जानने के लिए तैयार किया गया था। राज्य में NRC को अपडेट करने की मांग 1975 से ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा उठाई गयी थी।

असम समझौता(1985)

बांग्लादेशी स्वतंत्रता से एक दिन पहले 24 मार्च 1971 की आधी रात को राज्य में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी शरणार्थियों के नाम मतदाता सूची से हटाने और वापस बांग्लादेश भेजने के लिए बनाया गया था। असम की आबादी लगभग 33 मिलियन है। यह एकमात्र राज्य है जिसने NRC को अपडेट किया है। एनआरसी की प्रक्रिया 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुई थी।

असम में एनआरसी अपडेट का मूल उद्देश्य, प्रदेश में विदेशी नागरिकों और भारतीय नागरिकों की पहचान करना है। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन जैसे संगठनों और असम के अन्य नागरिकों का दावा है कि बांग्लादेशी प्रवासियों ने उनके अधिकारों को लूट लिया है और वे राज्य में हो रही आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं इसलिए इन शरणार्थियों को अपने देश भेज दिया जाना चाहिए।

सरकार ने NRC प्रक्रिया पर लगभग 1200 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, इसमें 55000 सरकारी अधिकारी शामिल थे और पूरी प्रक्रिया में 64.4 मिलियन दस्तावेजों की जांच की गई थी।

असम का नागरिक कौन है (Who is citizen of Assam) 

25 मार्च, 1971 से पहले असम में रहने वाले लोग असम के नागरिक माने जाते हैं। इस प्रदेश में रहने वाले लोगों को सूची A में दिए गए कागजातों में से कोई एक जमा करना था, इसके अलावा दूसरी सूची B में दिए गए दस्तावेजों को अपने असम के पूर्वजों से सम्बन्ध स्थापित करने के लिए एक दस्ताबेज पेश करना, जिससे यह माना जा सके कि आपके पूर्वज असम के ही थे।

NRC को कैसे अपडेट किया गया है? 

यदि कोई भी असम के नागरिकों की चयनित सूची में अपना नाम देखना चाहता है, तो उसे 25 मार्च, 1971 से पहले राज्य में अपना निवास साबित करने के लिए ‘लिस्ट A’ में दिए गए किसी एक दस्ताबेज को NRC फॉर्म के साथ जमा करना होगा। यदि कोई दावा करता है कि उसके पूर्वज असम के मूल निवासी हैं, इसलिए वह भी असम का निवासी है तो उसे ‘लिस्ट B’ में उल्लिखित किसी भी एक दस्तावेज के साथ एक NRC फॉर्म जमा करना होगा।

ये विधेयक नागरिकता कानून 1995 के प्रावधानों को बदल देगा और अगर यह कानून बन गया तो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासियों को नागरिकता मिलने का रास्ता खुल जाएगा।

मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। विधेयक में प्रावधान है कि गैर-मुस्लिम समुदायों के लोग अगर भारत में छह साल गुजार लेते हैं तो वे आसानी से नागरिकता हासिल कर पाएंगे। पहले ये अवधि 11 साल थी। मौजूदा कानून के तहत भारत में अवैध तरीके से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती है और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान हैं। इस प्रस्तावित विधेयक में धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान है जिससे भारतीय संविधान के सभी को बराबरी देने वाले अनुच्छेद 14 के उल्लंघन का सवाल भी उठा है।

नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) 2019 को 9 दिसम्बर 2019 को लोकसभा ने पास कर दिया है। इस बिल का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है। इन 6 समुदायों में मुस्लिम समुदाय को शामिल ना किये जाने पर कई राजनीतिक पार्टियाँ इसका विरोध कर रहीं हैं।

दरअसल नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) एक ऐसा बिल है जो कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले 6 समुदायों के अवैध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की बात करता है। इन 6 समुदायों ((हिन्दू, बौद्ध, सिख, ईसाई, जैन, तथा पारसी) में इन देशों से आने वाले मुसलमानों को यह नागरिकता नहीं दी जाएगी और यही भारत में इसके विरोध की जड़ है।

नागरिकता संशोधन विधेयक 1955 क्या कहता है? (Citizenship Amendment Bill 1955) 

नागरिकता अधिनियम, 1955- भारत की नागरिकता प्राप्त करने की 5 शर्तों को बताता है, जैसे-जन्म, वंशानुगत, पंजीकरण, प्राकृतिक एवं क्षेत्र समविष्ट करने के आधार पर। इस अधिनियम में 7 बार संशोधन किया जा चुका है।नागरिकता संशोधन विधेयक 1955 में प्राकृतिक रूप से नागरिकता हासिल करने के लिए व्यक्ति को कम से कम 11 वर्ष भारत में रहना अनिवार्य था जो कि बाद में घटाकर 6 वर्ष कर दिया गया था लेकिन नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 में इस अवधि को घटाकर 5 वर्ष कर दिया गया है।

input : Daink Jagran

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