दो दिन पहले वामपंथियों नें बंद का ऐलान किया। सड़क जाम, आ’गजनी, हं’गामा, रेल परिचालन बाधित। क्या मिला ? अरे एक बार निर्जला अनशन करके देखो पुरा देश देखेगा कितने प्र’दर्शनकारी संविधान की तथाकथित रक्षा के लिए खड़े होते हैं।
क्या खेल चल रहा है ? दो दिन पहले वामपंथी दलों ने बंद किया तो माननीय श्री तेजस्वी यादव जी ने उसका समर्थन किया किंतु इसमें शामिल होने की घोषणा नहीं की शायद ऐसा करके तेजस्वी जी उस भीड़ मे अपनी पहचान खो देते, शायद वो हिरो नहीं बन पाते। हां, आजकल देश में प्रदर्शन करनें वाले, पब्लिक प्रोपर्टी को नष्ट करने वाले, पुलिस पर पथराव करनेवाले ही तथाकथित उदारवादियों के द्वारा हिरो घोषित कर दिए जाते हैं।
खैर ये बात और है कि कुछ लोग प्याज के लिए बसों में आग लगाते हैं, कुछ लोग ठंड की वजह से, कुछ लोग नागरिकता संसोधन कानून के विरोध के लिए, कुछ लोगो को मालूम भी नहीं, खैर कोई बात नहीं प्रदर्शन करना इनका हक है और फैशन भी। राजनीति की गरम गरम रोटियां सेंकीं जा रही है जो लगातार एक खास वर्ग की थाली में परोस दी जाती है।
एक दल जिसनें दो दिन पहले ही बंद की आड़ लेकर अपनी जनता की पब्लिक प्रोपर्टी को बरबाद किया वो आज राजद के बंद पर कहते हैं सड़क जाम करनें से लोगों को परेशानी हो रही है। उनकी प्रदर्शन के दौरान उन्होंने शायद हेलीकॉप्टर से लोगों को एक जगह से दूसरे जगह भेजा था तब कोई परेशानी ही नहीं हुई। दिल्ली जल रहा है, यूपी जल रहा है, बिहार जल रहा है। जला कौन रहा है ? बड़ा सवाल ये हैं, क्यों जला रहा है ? सोचिए और फैसला किजिए।
कुछ सवालों के साथ इस आर्टिकल में आपको छोड़े जाता हूं।
१. क्या कभी पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐसी प्रदर्शन की गई ?
२. क्या जलसंरक्षण के लिए आपने पुरे देश में प्रदर्शन की ?
३. क्या आपने कभी लोगों को जागरूक करने के लिए विशाल जनसभा का आयोजन किया ?
शायद इसलिए नहीं की होगी क्योंकि इसमें मजा नहीं आता होगा, और राजनैतिक नफ़ा भी नहीं।
नोट : उपयुक्त आर्टिकल लेखक के निजी विचार है जिसका मुजफ्फरपुर नाउ से कोई संबंध नहीं है। नाम न छापनें के शर्त पर यह आर्टिकल प्रकाशित की गई है।