मुजफ्फरपुर। शहरीकरण की दौड़ में प्राकृतिक जल स्रोत न’ष्ट किए जा रहे हैं। कृषि एवं व्यवसायिक उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। इसका परिणाम गर्मी शुरू होते ही जलस्तर में गिरावट के रूप में दिखने लगता है। निगम के पंप व घरों में लगे मोटर जवाब देने लगते हैं।
चापाकल भी पानी उगलना बंद कर देते हैं। शहर में जल संकट गहरा जाता है। बावजूद जल संरक्षण के लिए गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं। यदि समय रहते हम नहीं चेते और संचित जल को बर्बाद करते रहे तो वह समय भी आएगा जब हम पीने के पानी के लिए दर-दर भटकेंगे और तो और हमारी आने वाली पीढ़ी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसलिए हर शहरवासी को यह समझना होगा कि पानी अनमोल है और हमें इसका समुचित प्रबंधन करना चाहिए। इसके लिए न सिर्फ आम जनता को बल्कि शासन एवं प्रशासन को आगे आना होगा। पर वर्तमान हालात यह हैं कि जल संरक्षण को लेकर न हम जागरूक हैं और न ही हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि।
जल संरक्षण की दिशा में काम कर रही ऑक्सीजन के संयोजक रवि कपूर कहते हैं कि प्राकृतिक जल स्रोतों, यथा कुआं, तालाब एवं पोखरों को बचाने की जरूरत है। बहुमंजिले भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने एवं शहर से निकलने वाले गंदा पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा शुरू कर सिंचाई कार्य में लगाने की आवश्यकता है।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर देना होगा ध्यान
वरीय नागरिक कृष्ण मोहन तिवारी के अनुसार लगातार भूजल स्तर में गिरावट आ रही है। नतीजतन शहर की पांच लाख एवं जिले की पचास लाख की आबादी धीरे-धीरे जल संकट की ओर बढ़ रही है। लेकिन इसकी चिंता किसी को नहीं।भूगर्भ जलस्तर में हो रही गिरावट व भावी पीढ़ी को जल संकट से बचाने का एकमात्र उपाय है वर्षा जल का संचय।
पानी को दूषित होने से बचाना होगा
समाज सेवी एवं चिकित्सक डा. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि जल संकट से बचना है तो पानी को प्रदूषित होने से बचाना होगा। शहर से निकलने वाला गंदा पानी हो या कल-कारखानों से मुक्त दूषित पानी बगैर ट्रीटमेंट के नदी एवं तालाब में बहा दिया जाता है। इससे न सिर्फ नदी व तालाब का पानी प्रदूषित होता है बल्कि भूगर्भ जल भी दूषित होता है। इसे सख्ती से रोकना होगा।
बाढ़ के पानी के संचय का करना होगा प्रयास
विवि अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष डा. एसके पाल ने कहा कि उत्तर बिहार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। यहां हर साल बाढ़ आती है। बाढ़ के पानी का समुचित प्रबंधन कर सालों भर उसका लाभ उठाया जा सकता है। इसके लिए यह जरूरी है कि अधिक से अधिक पोखर एवं तालाबों का निर्माण कराया जाए। प्राकृतिक रूप से बने मन को भरने से बचाया जाए।
हर स्तर पर रोकनी होगी पानी की बर्बादी
सेवानिवृत बैंककर्मी राजीव कुमार सिन्हा ने कहा कि बेहतर जल प्रबंधन के अभाव में हम बड़ी मात्रा में पेयजल को बर्बाद कर देते हैं। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि नगर निगम के सार्वजनिक नलों से दिन-रात पानी बहते रहता है। जर्जर पाइप लाइनों के लिकेज होने से भी हजारों लीटर पीने का पानी बगैर उपयोग बर्बाद हो रहा है। बेहतर जल प्रबंधन से हम हो रहे पानी के अपव्यय को रोक सकते हैं।
पानी बचेगा तभी जीवन बचेगा
समाज सेवी अलका वर्मा ने कहा कि पानी का अपव्यय रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया जा सकता है। लोगों को यह समझाना होगा कि पानी बचेगा तभी जीवन रचेगा। पर्यावरण में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। समय पर बारिश नहीं होने से धरती की प्यास बढ़ती है और भूगर्भ जल का स्तर भी गिर जाता है।
Input : Dainik Jagran