देवी आराधना का पर्व नवरात्र रविवार को शुरू हो रहा है। इस दिन कलश स्थापना के साथ ही माता के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होगी। भगवानपुर स्थित बाबा मनोकामना नाथ महादेव मंदिर के आचार्य संतोष तिवारी बताते हैं कि इस बार हस्त नक्षत्र और सर्वार्थसिद्धि व अमृतसिद्धि योग में शारदीय नवरात्र शुरू होगा। नौ दिनों का नवरात्र होगा। भक्तगण अपने अभीष्ट की सिद्धि के लिए आदिशक्ति मां भगवती के नौ स्वरूपों का पूजन कर उपासना करेंगे। इधर, पूजा को लेकर साधकों ने तैयारी शुरू कर दी है। पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए बाजार में भीड़भाड़ रही।

कलश स्थापना की विधि : ’ कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह से शुद्ध कर लेना चाहिए। ’ फिर एक लकड़ी के पटरे पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर गणोश भगवान को याद करते हुए थोड़े चावल रख देना चाहिए। ’ भगवान शंकर, विष्णु, वरुण देवता और नवग्रह देवता का ध्यान करें। ’ आह्वान के बाद मां दुर्गा की स्तुति करें। यदि मंत्र याद नहीं तो दुर्गा चालीसा पढ़ें। यदि वह भी याद नहीं हो तो ‘ऊं दुर्गायै नम:’ का जप करें। ’ ध्यान रहे कि कलश स्थापना के समय पूरा परिवार मौजूद रहे। ’ कलश रखने की जगह पर करीब एक फीट की गोलाई में मिट्टी बिछाकर उसमें जौ बो देना चाहिए। पानी के छींटे मारने के बाद मां की स्तुति करते हुए मिट्टी के बीचोंबीच कलश रख दें। ’ कलश पर रोली से स्वास्तिक और बनाकर कलश के मुख पर रक्षासूत्र बांध दें। ’ कलश में चावल, जौ, तिल, लौंग, सरसों, सुपारी व सिक्का डालने के बाद आम के पल्लव रखकर मुख को ढक्कन से ढंक दें। ’ ढक्कन को चावल से भर दें। फिर एक नारियल को लाल कपड़ा या चुनरी लपेटकर उसपर रक्षासूत्र बांधें। यह पांच या सात बार लपेटा होना चाहिए। ’ नारियल को हाथ में लेकर माथे पर लगाएं और माता का जयकारा लगाते हुए उसे कलश पर रख दें। ’ अंत में दीपक जलाकर कलश की पूजा करें। ’ प्रतिदिन कलश की पूजा और आरती करें।

पूजन सामग्री

मिट्टी के पात्र, करीब 250 ग्राम जौ, शुद्ध साफ की हुई मिट्टी, शुद्ध जल से भरा मिट्टी का कलश (सोना, चांदी, तांबा या पीतल का कलश भी ले सकते हैं), मौली, आम का पल्लव, कलश के ऊपर रखने के लिए मिट्टी का बर्तन, साबुत चावल, एक पानी वाला नारियल, सुपारी, कलश में रखने के लिए सिक्के, लाल कपड़ा या चुनरी, मिठाई, लाल अरहुल के फूल व फूलों की माला, पीली सरसों, काले तिल, 6 लौंग, पान आदि।

 

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