बिहार में शराबबंदी के बावजूद जहरीली शराब से मौत की घटनाएं होती रहती हैं। नीतीश कुमार की सरकार इसे लेकर काफी सजग और सख्त है। अब ऐसे कांडों की ऑन-स्पॉट जांच के लिए जल्द ही एक विशेष किट लाने की पहल की जा रही है। यह किट पुलिस महकमा के पास होगी। इससे जहरीली शराब से जुड़े मामलों की जांच व उन्हें नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। बिहार में शराब पर रोक लगने के बाद स्थानीय स्तर पर शराब बनाने का धंधा चल रहा है। अल्कोहल में पानी की मात्रा में गड़बड़ी होने पर शराब जहरीली हो जाती है और इसे पीकर लोग मर जाते हैं।
उत्पाद विभाग ने शराब की प्रकृति को लेकर एक विशेष शोध कराया है। इसमें शराब के जहरीली बनने के प्रमुख कारणों का विश्लेषण किया गया है। इसके आधार पर किट तैयार हो रही है। यह शोध उत्पाद विभाग के उत्पाद रसायन परीक्षक राज पांडेय ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के डॉ. सुब्रत दास और कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की डॉ. सीमा परोहा की साझेदारी से की है। इन सभी के संयुक्त प्रयास से इस किट को तैयार किया जा रहा है। शोध रिपोर्ट को पेटेंट कराया जाएगा।
होंगे ये फायदे
ग्रामीण व दियारा इलाके के लोगों को जहरीली शराब के कारणों की जानकारी दी जाएगी। जहां इस तरह की घटनाएं होती हैं वहां खासतौर से बताया जाएगा कि गलत मिश्रण और तापमान के कारण कैसे शराब जहर बन जाती है।
ये बातें सामने आईं शोध रिपोर्ट में
शोध रिपोर्ट के मुताबिक, चुलाई की शराब से अधिक नशा के चक्कर में सड़े हुए अनाज या गुड़, खजूर, महुआ समेत अन्य चीजों में कई पदार्थों मसलन धतूरा, नौसादर, बैट्री, ऑक्सीटोसिन, स्पिरिट, यूरिया समेत अन्य पदार्थों का गलत तरीके से मिश्रण करना शराब के जहरीली होने के मूल कारणों में शामिल हैं। साथ ही इन पदार्थों के मिश्रण को गलत परिस्थिति और तापमान पर गर्म करने के कारण इथेनॉल के साथ मेथनॉल एल्कोहल भी बन जाता है, जो बेहद जहरीला पदार्थ है। हाल के दिनों में जहरीली शराब से हुई मौतों के मामले की जांच में मेथनॉल सबसे प्रमुख तत्व के तौर पर सामने आया है। कई पदार्थों को एक दूसरे के साथ नहीं मिलाना चाहिए। इसकी सही जानकारी नहीं होने की वजह से मिथेनॉल के अतिरिक्त फॉर्मल्डिहाइड, इथाइल कार्बामेट जैसे अन्य जहरीले पदार्थ भी तैयार हो जाते हैं। इसमें एक घुलनशील फाइबर भी तैयार होता है, जो शराब को जहरीली बनाने में सबसे प्रमुख कारक है।
नैनो मैटेरियल तैयार करने का प्रयास
फल-सब्जियों या स्टार्च युक्त पदार्थों के फर्मेंटेशन से स्थानीय स्तर पर तैयार की जाने वाली चुलाई शराब के जहरीली होने की आशंका सर्वाधिक होती है। शराब कैसे जहरीली बनती है, इसके सटीक कारणों का पता चलने के बाद अब इसकी जांच, बचाव और लोगों में जागरूकता फैलाने से जुड़े कार्य करने में मदद मिलेगी। -राज पांडेय (उत्पाद रसायन परीक्षक, उत्पाद विभाग)
इस शोध परिणाम की मदद से कुछ नैनो मैटेरियल तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है। इसे तैयार करने के लिए कुछ आधुनिक उपकरणों की खरीद की जा रही है। नैनो मैटेरियल की मदद से जहरीली शराब पीने पर मरीज को तुरंत बचाने या घातकता कम करने में काफी मदद मिलेगी। अभी इस पर आगे का शोध जारी है।
Source : Hindustan