बीआरए बिहार विश्वविद्यालय ने गुरुवार को नया पोर्टल लांच किया है। इसके जरिए डिग्री, सर्टिफिकेट महीने भर में बनकर मिल जाएगा। आवेदक अपने सर्टिफिकेट का स्टेटस भी चेक कर सकेंगे। फॉर्म जमा करने से लेकर कॉलेजों की फीस भी जमा की जा सकेगी। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर पेमेंट गेटवे का ऑप्शन दिया है। पहले ई-कलेक्ट से पेमेंट होता था, जिसमें तमाम तरह की परेशानियां थीं। कुलपति डॉ.आरके मंडल ने अपने आवासीय कार्यालय पर इस पोर्टल को लांच किया और इसकी खूबियां व सुविधाओं की जानकारी दी। मौके पर रजिस्ट्रार अजय कुमार राय, परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार भी मौजूद थे।

यूएमआइएस को-ऑर्डिनेटर भरत भूषण ने बताया कि इस पोर्टल के लांच हो जाने के बाद विद्यार्थियों को डिग्री-सर्टिफिकेट मिलने में काफी सहूलियत हो जाएगी। वे चाहें तो कॉलेज से तय समय-सीमा के अंदर प्राप्त कर लें या अगर आप्शन देंगे तो उनके डाक के पते पर इसे भेजा जाएगा। इसके लिए पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। सभी सुविधाओं के लिए अलग-अलग फीस तय की गई है। डिग्री एक माह में और अधिकतम दस दिन में प्रोविजनल मिल जाएगा। तत्काल सुविधा का भी विकल्प है, जिसमें अधिक पैसे लगेंगे।

 

पहले ये थी परेशानी: अधिकारियों का कहना है कि हार्डकॉपी को हटाने के लिए पहले भी ऑनलाइन सिस्टम लागू था। इसमें ई-कलेक्ट से पहले पेमेंट होता था, लेकिन प्रक्रिया कठिन थी। आवेदक को एक एक्सट्रा डॉक्यूमेंट जमा करना पड़ता था। किसी को डिग्री-प्रोविजनल लेना है तो फॉर्म अप्लाई कर काउंटर पर जमा करता था। वह डिपार्टमेंट में जाता, वहां से वेरीफाई होकर उसका सर्टिफिकेट बनता। इसके बाद आवेदक उसे काउंटर से लेते थे। पहले वाले सिस्टम में फॉर्म ऑनलाइन जमा होता और पैसा अलग से। उसका पेमेंट वेरीफाई करना होता था। इस बीच साइबर कैफे वाले फर्जी डॉक्यूमेंट लगाकर आवेदक को दे देते थे। आवेदक को पता नहीं चल पाता था कि उसका काम कहां फंस गया। इसे ठीक कराने के लिए हम लोग पेमेंट गेटवे सिस्टम लेकर आए हैं।

नए सिस्टम से ये होगा फायदा: नए सिस्टम से फायदा यह होगा कि आवेदक एक क्लिक पर ही अपना फॉर्म भी अप्लाई कर देगा और पेमेंट भी। इसके बाद यह पता चल जाएगा कि उसने किस कार्य के लिए अप्लाई किया है और उसका भुगतान भी हो चुका है। एक माह के बाद डिग्री मिल जाएगा। इसकी सूचना भी पोर्टल पर मिल जाएगी। उसे एक पेमेंट रेफ्रेंस दे दिया जाएगा, जिससे वह ट्रैक कर सकता है। इसमें एक लिंक भी रहेगा, जिसमें वह अपना मोबाइल, ई-मेल या फॉर्म नंबर डालकर स्टेटस चेक कर सकता है कि उसकी डिग्री या सर्टिफिकेट बना है कि नहीं। अगर नहीं बना है तो देख सकेगा कि उसका डॉक्यूमेंट किस कारण से नहीं बन पाया है। पेंडिंग है तो किस कारण से। आवेदकों को भी अवगत कराया जाएगा कि उसका काम किस कारण से पेंडिंग है। मान लीजिए मार्क्‍स नहीं चढ़े हैं तो उसके मार्क्‍स टीआर से वेरीफाई कर ठीक किए जा सकेंगे। आवेदक को विवि आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। घर बैठे अप्लाई कर सकता है। वहां से डिग्री बनाकर संबंधित कॉलेज भेज दी जाएगी। वह चाहेगा कि उसका डॉक्यूमेंट्स सीधे घर पर आए तो ऐसा भी हो सकेगा।

Input : Dainik Jagran

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