देशभर के मेडिकल कॉलेजों में पीजी के कोर्स में दाखिले के लिए पहली बार होने वाली बहुप्रतीक्षित एमबीबीएस नेक्स्ट (नेशनल एग्जिट टेस्ट- NeXT Exam ) की परीक्षा के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने आधिकारिक तौर पर नियम तय कर दिए हैं। अगर कोई अभ्यर्थी एक बार ही नेक्स्ट स्टेप 1 परीक्षा देता है तो मेडिकल कॉलेजों में एमडी और एमएस जैसे पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए उसके अंक पांच साल तक मान्य होंगे। हालांकि अभ्यर्थी अपने अंक और रैंक सुधारने के लिए फिर से यह परीक्षा देना चाहते हैं तो वह कितनी भी बार इसमें हिस्सा ले सकते हैं बशर्ते की वे एमबीबीएस ( MBBS ) में दाखिला लेने के 10 साल के अंदर नेक्स्ट स्टेप 2 की परीक्षा पास कर ली हो। अगर अभ्यर्थी नेक्स्ट स्टेप 1 की परीक्षा में दोबारा शामिल होता है तो पीजी में दाखिले के लिए रैंक तय करने में पिछली परीक्षा का स्कोर अमान्य माना जायेगा। केवल अंतिम परीक्षा का परिणाम ही मान्य होगा।

नेक्स्ट की परीक्षाएं दो भाग में होंगी

नेक्स्ट स्टेप 1 और नेक्स्ट स्टेप 2 के रूप में दो भागों में यह परीक्षा होगी। पहली परीक्षा नेक्स्ट स्टेप 1 कंप्यूटर आधारित परीक्षा होगी जिसमें बहु विकल्पीय सवाल पूछे जायेंगे। पीजी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए रैंक देने के लिए नेक्स्ट स्टेप 1 परीक्षा के अंक ही मान्य होंगे लेकिन अभ्यर्थी को नेक्स्ट स्टेप 2 परीक्षा भी पास करनी जरूरी है। एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्रों के नेक्स्ट स्टेप 1 परीक्षा पास करने के बाद और फिर एक साल की इंटर्नशिप करने के बाद नेक्स्ट स्टेप 2 परीक्षा देनी होगी। इस परीक्षा में वायवा, प्रैक्टिकल और क्लीनिकल सवाल पूछे जायेंगे। इन दोनों परीक्षाओं को पास करने वालों को डॉक्टरी का लाइसेंस दिया जाएगा लेकिन पीजी में दाखिले के लिए नेक्स्ट स्टेप 1 के अंक के आधार पर रैंक तय की जाएगी।

फाइनल ईयर में प्रत्येक 6 विषय में लाने होंगे 50% अंक : राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर सर्वेश पांडे के मुताबिक फाइनल एमबीबीएस की परीक्षा पास करने के लिए नेक्स्ट 1 में सभी छह विषयों में अलग-अलग 50% अंक लाना अनिवार्य होगा। नेक्स्ट 1 में एक या इससे अधिक विषय में फेल होने पर सिर्फ उन्हीं विषयों की परीक्षा अगले अटैम्प्ट में देनी होगी। इसके बाद छात्र इंटर्नशिप के लिए पात्र हो पाएंगे।

रैंक के लिए टाई ब्रेकर का नियम भी : परीक्षा में समान अंक लाने वाले छात्रों में कम बार नेक्स्ट परीक्षा देने वाले छात्र को बेहतर रैंक मिलेगी।

1. मेडिसिन एंड एलाइड डिसिप्लीन्स
2. सर्जरी एंड एलाइड डिसिप्लीन्स
3. ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनाकोलॉजी
4. पीडियाट्रिक्स
5. ओटोराइनोलैरिंगोलॉजी
6. ऑफथैल्मोलॉजी

इन विषयों में क्रमानुसार अधिक अंक लाने वाले छात्र को बेहतर रैंक मिलेगी। राष्ट्रीय चिकत्सा आयोग ने 28 जुलाई को इस परीक्षा का पहला मॉक टेस्ट आयोजित करने का फैसला किया है। इस मॉक टेस्ट को एम्स दिल्ली आयोजित कर रहा है। परीक्षा में निगेटिव मार्किंग का विकल्प भी रखा गया है।

पहले के मुकाबले यह हुए हैं बदलाव

एमबीबीएस नेशनल एग्जिट परीक्षा मेडिकल कॉलेज के पीजी पाठ्यक्रमों में होने वाली नीट पीजी की जगह लेने जा रहा है। यह एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए क्वालिफाईंग परीक्षा के तौर पर आयोजित किया जाएगा। यह एलोपैथिक डॉक्टर के लाइंसेस के लिए भी जरूरी होगा और इसमें प्रदर्शन के आधार पर पीजी के पाठ्यक्रमों में दाखिला दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, नेशनल एग्जिट टेस्ट से ही विदेशों से मेडिकल डिग्री लिए स्नातकों को देश में डॉक्टरी करने की अनुमति दी जाएगी। अभी इनके लिए अलग एफएमजीई परीक्षा होती थी।

Source : Hindustan

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