मां दुर्गा की आराधना का पर्व है नवरात्र। मां के नौ रूपों की भक्ति से हर मनोकामना पूरी होती है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से माता दुर्गा नौ दिनों के लिए मां दुर्गा अपने भक्तों के दुख दूर करने पृथ्वी लोक में आती हैं, इन दिनों में यदि विधि विधान से माता की आराधना की जाए, तो वह प्रसन्न होंगी और सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगी।

शारदीय नवरात्र में नौ दिनों  में मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि स्वरूप का दर्शन-पूजन किया जाता है।  नौ शक्तियों के मिलन को नवरात्र कहते हैं। नवरात्र में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि के लिए उपवास, संयम, नियम, भजन,पूजन और योग साधना करते हैं। नौ दिनों तक दुर्गासप्तशती का पाठ, हवन और कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए।

सुबह से ही कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

  • अभिजीत मुहूर्त : प्रात : 6.16 बजे से 7.40 बजे
  • सुबह 11.36 बजे से 12.24 बजे

दुर्गापूजा की तिथियां

  • कलश स्थापना: 29 सितंबर
  • षष्ठी तिथि 4 अक्टूबर: बेलनोती
  • सप्तमी तिथि 5 अक्टूबर: पत्रिका प्रवेश पूजा, निशा पूजा
  • अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर: महाष्टमी पूजा
  • महानवमी तिथि 7 अक्टूबर:  हवन
  • विजयादशमी 8 अक्टूबर: जयंती धारण, अपराजिता पूजन, शमी पूजन

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