राज्य के सरकारी स्कूलों के सभी शिक्षकों को उनके स्कूल के नजदीक ही शिक्षा विभाग आवास की सुविधा मुहैया कराएगा। करीब पांच लाख शिक्षकों के लिए जिला से लेकर अनुमंडल, प्रखंड और पंचायत स्तर तक मकान की तलाश भी विभाग ने शुरू की दी है। इसके अंतर्गत विभाग ने रविवार को विज्ञापन जारी कर मकान मालिकों और रियल स्टेट कंपनियों से चार नवंबर तक विभागीय वेबसाइट पर ऑनलाइन प्रस्ताव देने का आग्रह किया है। विभाग ने इच्छुक व्यक्तियों-मकान मालिकों-रियल स्टेट कंपनियों से कहा है कि कि वे कितने फ्लैट और मकान तत्काल उपलब्ध करा सकते हैं और कितने अगले एक-दो सालों में अतिरिक्त बना सकते हैं, यह भी बताएं।

विभाग ने आगे कहा है कि एक लाख से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, जिन्हें जल्द ही विभिन्न जिलों के दूरस्थ प्रखंडों और गांवों में पदस्थापित किया जाएगा। इनके रहने के लिए आवास की व्यवस्था का विभाग प्रयास कर रहा है। इसके अलावा करीब चार लाख शिक्षक पूर्व से कार्यरत हैं, जो दूरस्थ स्थानों के स्कूलों में जाकार बच्चों को पढ़ाते हैं। दरअसल राज्य में दूर-दराज के क्षेत्रों में मकानों और आवासन की अनुपलब्धता के कारण कई शिक्षकों को जिला मुख्यालयों में मकान किराये पर लेना पड़ता है। जिला मुख्यालय से दूर के स्कूल में आने-जाने में काफी समय और पैसा खर्च करना पड़ता है। इसलिए शिक्षक स्कूल के नजदीक रहेंगे तो उन्हें काफी सुविधा होगी। बच्चों का पठन-पाठन भी बेहतर होगा।

निदेशक प्रशासन द्वारा जारी विज्ञापन में यह भी कहा गया है कि शिक्षा विभाग के वार्षिक बजट का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा शिक्षकों के वेतन पर खर्च होता है। शिक्षा विभाग हर साल शिक्षकों के वेतन पर 33 हजार करोड़ खर्च करता है। इसका औसतन आठ प्रतिशत मकान किराया भत्ता हर शिक्षक को दिया जाता है। आठ प्रतिशत की यह राशि लगभग 2500 करोड़ होती है। विभाग इस राशि से मकान/भवन पर्याप्त संख्या में लीज और किराये पर लेगा। ताकि, शिक्षकों को उनके स्कूल के समीप में बेहतर आवास की व्यवस्था उपलब्ध करायी जा सके।

शिक्षकों को दूरस्थ क्षेत्रों में आवास की सुविधा के लिए दो मॉडल पर विभाग काम कर रहा है, जिसके लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं। पहला, मकान और बहुमंजिली इमारतों के मालिकों से प्रस्ताव मांगा गया है कि वे कितने मकान किस जिले के किस प्रखंड और ग्राम पंचायत में उपलब्ध करा सकते हैं, जो पहले से बने हुए हैं। शिक्षा विभाग उन्हें किराये और लीज पर तुरंत ले सकता है। दूसरा, रियल स्टेट कंपनियों और अन्य फार्मों-व्यक्तियों से जिला, अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय में ऐसी बहुमंजिली इमारतों का निर्माण कराने के लिए प्रस्ताव मांग गया है, जहां केवल विभाग के शिक्षक रहेंगे। ये इमारतें निजी कंपनियां अपने खर्च पर बनाएंगी और शिक्षा विभाग उन्हें दीर्घकालिक लीज पर लेगा और हर माह किराए का भुगतान करेगा। इसके अलावा भी कोई मॉडल और सुझाव आता है तो उसका भी विभाग स्वागत करेगा।

प्रस्ताव देने वालों के साथ शिक्षा विभाग आठ नवंबर को पटना में दोपहर 12 बजे से गोष्ठी करेगा। इसमें उक्त विषय पर विस्तार से चर्चा होगी। गोष्ठी में सभी को उनके सवालों का उत्तर दिया जाएगा और विभाग के द्वारा पुन: विज्ञापन निकालकर वित्तीय प्रस्ताव आमंत्रित किया जाएगा। प्रस्ताव के साथ सभी यह बताएंगे कि वे गोष्ठी में भाग लेना चाहेंगे या नहीं, ताकि उसके अनुसार इसकी व्यवस्था की जा सके।

Source : Hindustan

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