रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर बिहार के लोग दुविधा में है। ICMR की गाइडलाइन के बाद नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (NMCH) के अधीक्षक डॉक्टरों के लिए पत्र जारी कर कह चुके हैं कि कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करें। रेमडेसिविर मामले में IMA के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. अजय कुमार ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी थी और कहा था कि रेमडेसिविर नाम की दवा को लेकर कोविड-19 के रोगियों की मृत्यु को कम करने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसका केवल कुछ रोगियों में बीमारी की गंभीरता को कम करने के लिए विवेकाधीन उपयोग होता है। इन सबके बावजूद बिहार सरकार ने गुजरात से यह इंजेक्शन मंगाया है।
चार्टर्ड प्लेन से पटना आए इंजेक्शन
अहमदाबाद से बिहार सरकार ने चार्टर्ड प्लेन के जरिए रेमडेसिविर के 14 हजार डोज मंगाए हैं। बिहार सरकार दोनों बातें कर रही है। एक तरफ इसे प्रभावी नहीं बता रही तो दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर इसकी व्यवस्था भी कर रही है। राज्य में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए 40-40 हजार तक की कालाबाजारी हो रही है।
कोर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन ज्यादा कारगर
इस दुविधा को लेकर दैनिक भास्कर ने IMA के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. अजय कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर को लेकर भागदौड़ मचाना उचित नहीं है। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि रेमडेसिविर कोरोना की वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणिक दवा नहीं है। रेमडेसिविर का इस्तेमाल कुछ रोगियों में बीमारी की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर अपने विवेक के आधार पर करते हैं। डॉ. अजय ने बताया कि कोर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन के इस्तेमाल से भी कोरोना को हराया जा सकता है।
वायरस की शक्ति को कम करता है
दरअसल, कोर्टिकोस्टेरॉयड एक तरह का हार्मोन है जो शरीर के अंदर पाया जाता है और यह हार्मोन कई बीमारी से लड़ने में मददगार साबित होता है। उन्होंने कहा कि कोरोना होने के 5 दिन बाद मरीजों को यह इंजेक्शन दिया जा सकता है। यह मरीज के शरीर में कोरोना वायरस की शक्ति को कम करने में मददगार होता है। इसके अलावा इम्यूनिटी बढ़ाने वाले पौष्टिक भोजन करने और भाप लेने, सांस संबंधी व्यायाम करने से भी वायरस के असर को कम किया जा सकता है।
बिहार सरकार अपने आप को बचाना चाह रही
डॉ. अजय कुमार ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर मारामारी के बीच जो कालाबाजारी हो रही है, उससे बिहार सरकार अपने आप को बचाना चाह रही है। रेडमेसिविर के इस्तेमाल से मरीज रिकवर जल्दी करते हैं, लेकिन यदि कोरोना ने लंग्स को इंफेक्ट कर दिया है तो यह इंजेक्शन कोई काम नहीं करेगा। रिसर्च में रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा है। बिहार सरकार ने रेमडेसिविर की हायतौबा से बचने के लिए यह कदम उठाया है।
Input: Dainik Jagran