इस लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने नोटा यानी इनमें से कोई नहीं का बटन भी खूब दबाया। राज्य के कुल 40 लोकसभा क्षेत्रों में से करीब एक दर्जन सीटों पर हुए चुनाव में नोटा का प्रतिशत कुल पड़े वोटों का 3 से 5 प्रतिशत रहा। कहा जाय कि वोटों का यह प्रतिशत उक्त सीट पर चुनाव लड़ रहे आधे से अधिक प्रत्याशियों के टोटल वोट से अधिक रहा। हालांकि, इससे चुनाव परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ा। क्योंकि अधिकतर लोकसभा क्षेत्रों में जीत का मार्जिन लाखों में है। हालांकि, मुजफ्फरपुर व वैशाली में नोटा एक प्रतिशत से भी कम वोटरोंं ने दबाया।
सबसे अधिक 51660 नोटा गोपालगंज के मतदाताओं ने दबाया, चुनाव लड़ रहे 14 में से 8 प्रत्याशियों को मिले कुल वोट से भी ज्यादा
सबसे ज्यादा नोटा गोपालगंज सीट पर 51660 पड़े, जो यहां कुल पड़े वोटों का 5.04% रहा। इसी सीट पर चुनाव लड़ रहे 14 प्रत्याशियों में से 8 का कुल वोट मिला देने पर भी यह आंकड़ा पार नहीं होता। यही हाल जमुई लोकसभा सीट का रहा। यहां कुल वोट का 4.16 प्रतिशत ( 39496 वोट) नोटा पड़ा। वहीं, पश्चिम चंपारण4.51% यानी 45699 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। इसी तरह तीन प्रतिशत से अधिक नोटा वोट पड़ने वाले लोकसभा क्षेत्रों में वाल्मीकि नगर (34338 वोट यानी 3.33%), समस्तीपुर (35417 वोट यानी 3.48%), सारण (28227 वोट यानी 3.01%), नवादा (35147 वोट यानी 3.73%), जहानाबाद (27574 वोट यानी 3.38%), गया (30030 वोट यानी 3.14%), भागलपुर ( 31287 वोट यानी 3.03%) शामिल है।
मुजफ्फरपुर में 0.87 और वैशाली में 0.86 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा को चुना
सबसे कम नोटा शिवहर में पड़ा। जहां कुल 7017वोटरों ने नोटा बटन दबाया, जो कुल पड़े वोट का 0.7 रहा। मुजफ्फरपुर व वैशाली लोकसभा क्षेत्र में बराबर-बराबर 0.86 प्रतिशत वोटरों ने नोटा का इस्तेमाल किया। मुजफ्फरपुर में 9105 और वैशाली में 9217 वोटरों ने नोटा को चुना। वहीं, पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में 5076 मतदाता यानी 0.52 प्रतिशत वोटर और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में 6491 मतदाताओं यानी 0.61 वोटरों ने नोटा पर बटन दबाया।
Input : Dainik Bhaskar