ग्रामीण इलाकों में सड़क सुधार के लिए अब शहरी क्षेत्रों की तर्ज पर रोड एम्बुलेंस का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा। ग्रामीण कार्य विभाग ने इस नई पहल के तहत एजेंसियों को रोड एम्बुलेंस रखने के निर्देश जारी किए हैं। इसका उद्देश्य सड़कों की त्वरित मरम्मत और रखरखाव सुनिश्चित करना है।
विभाग ने ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किया है। इस योजना में उन सड़कों को शामिल किया जाएगा, जिनकी पांच साल की मरम्मत अवधि समाप्त हो चुकी है। अब सड़कों को सात साल तक मेंटेन रखने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत प्रखंड और अनुमंडल स्तर पर सड़कों का पैकेज तैयार किया जाएगा और निविदा प्रक्रिया के माध्यम से कार्य पूरा कराया जाएगा।
रोड एम्बुलेंस, जिसे रैपिड रिस्पांस व्हीकल भी कहा जाता है, सड़कों की त्वरित मरम्मत के लिए उपयोग की जाएगी। इसमें पानी निकालने की व्यवस्था, गड्ढों की भराई के उपकरण, जीपीएस और आवश्यक कर्मचारी मौजूद रहेंगे। जीपीएस ट्रैकिंग से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एम्बुलेंस सही समय पर सही जगह पहुंच रही है और काम प्रभावी तरीके से हो रहा है।
सड़क निर्माण और रखरखाव करने वाले संवेदकों को रोड एम्बुलेंस रखना अनिवार्य होगा। अगर तय समय में मरम्मत का कार्य नहीं होता है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें संवेदकों की राशि काटने से लेकर अन्य दंडात्मक कदम उठाए जा सकते हैं। इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों के अनुसार, अगर सड़क की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं रही, तो उन्हें किसी तरह का भुगतान नहीं किया जाएगा।
इस नई पहल से ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है। रोड एम्बुलेंस की मदद से न केवल छोटे गड्ढों को समय पर भरा जा सकेगा, बल्कि सड़क पर पानी जमा होने जैसी समस्याओं को भी तुरंत हल किया जाएगा।
निष्कर्ष: यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन को सुगम बनाएगा और सड़क मरम्मत में देरी की समस्या को दूर करेगा। सड़क सुधार की यह नई प्रक्रिया ग्रामीण विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है।