अब बिहार में सभी प्रकार के चिकित्सकों की नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर की जाएगी। इस प्रतियोगिता परीक्षा का पाठ्यक्रम तय करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
इस सात सदस्यीय समिति का कार्य विभिन्न राज्यों में चिकित्सकों की भर्ती के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम का अध्ययन करना है। समिति केंद्र और अन्य राज्य सरकारों के तहत विशेषज्ञ, सामान्य, और दंत चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम का अध्ययन करेगी। इसके बाद, समिति अपनी समीक्षा के आधार पर पाठ्यक्रम निर्धारित करने की अनुशंसा स्वास्थ्य विभाग को करेगी। वर्तमान में, राज्य में चिकित्सकों की नियुक्ति एकेडमिक अंक और साक्षात्कार के आधार पर हो रही थी।
विशेष सचिव शशांक शेखर सिन्हा की अध्यक्षता में गठित इस समिति में अपर सचिव शैलेश कुमार, निदेशक प्रमुख (नर्सिंग) डॉ. सुनील कुमार झा, अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. विरेश्वर प्रसाद, नालंदा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, पीएमसीएच के प्राचार्य और पटना दंत चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य शामिल हैं। संभावना है कि तकनीकी सेवा आयोग के माध्यम से चिकित्सकों की चयन प्रक्रिया पूरी होगी। परीक्षा के कुल अंक 100 होंगे, जिसमें लिखित परीक्षा के लिए 60 अंक, साक्षात्कार के लिए 15 अंक और कार्य अनुभव के लिए 25 अंक निर्धारित किए गए हैं।
कार्य अनुभव का लाभ उन चिकित्सकों को मिलेगा जिन्होंने बिहार सरकार, केंद्र सरकार, नगर पालिका, पंचायती राज संस्थानों, अन्य लोक संस्थानों, या सैनिक अस्पताल में अनुबंध के आधार पर सेवा दी है। प्रति वर्ष 5 अंकों के हिसाब से अधिकतम 5 वर्षों के कार्य अनुभव के लिए 25 अंक दिए जाएंगे। प्राप्तांक के लिए किसी अभ्यर्थी के अंकों का निर्धारण प्रतियोगिता परीक्षा में प्राप्त कुल अंकों के प्रतिशत को 0.6 के गुणक से गुणा करके किया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी अभ्यर्थी ने लिखित परीक्षा में 50 अंक प्राप्त किए हैं, तो उसे 50 गुना 0.6 करने पर 30 अंक दिए जाएंगे। क्वालिफाइंग अंक 30 होंगे।
वर्तमान में, राज्य में चिकित्सकों के 45 फीसदी पद रिक्त हैं। स्वास्थ्य विभाग में सामान्य चिकित्सक, दंत चिकित्सक सहित विभिन्न पदों पर नियुक्ति की जानी है। जाति आधारित गणना के आधार पर आरक्षण कोटा बढ़ाने के मामले पर सामान्य प्रशासन विभाग के स्पष्ट गाइडलाइन के बाद वैकेंसी आयोग को भेजी जाएगी।