बेटियों की बात तो हर कोई करता है लेकिन क्या वाकई में आज भी बेटियों को हमारे समाज में वो दर्जा मिल पाया है जिसके दावे किये जाते हैं…महिला सुरक्षा के नाम पर बयानबाजी होते तो आपने बहुत देखा और सुना होगा लेकिन ये बातें बेमतलब तब साबित हो जाती हैं जब देश या राज्य की बेटियों के साथ अत्याचार होता है और उन्हें इंसाफ दिलाने वाला कोई नहीं होता…अब बिहार को ही ले लीजिए…बिहार की एक ऐसी घटना जिसने रातोंरात सबको दहला कर रख दिया था, जिस खबर के सामने आने के बाद हर कोई महिला सुरक्षा और बेटियों की बात करने लगा था…उस घटना को याद कर आज भी रोंगटे सिहर जाते हैं…
बिहार के मुजफ्फरपुर का शेल्टर होम कांड जब भी लोगों की जुबान पर आता है…लोग सोचते हैं क्या उन बेटियों को इंसाफ मिल पाएगा जिनके साथ जो नहीं होना था वो तक हो गया और कइयों का तो अता पता तक नहीं रहा…अब बिहार की उसी दर्दनाक घटना को पर्दे पर उतारने वाले कुमार नीरज की फिल्म नफीसा आपको हर सच्चाई से रूबरू करवाने जा रही है…एक ओर जहां कुमार नीरज की इस फिल्म को लेकर खूब चर्चा है तो वहीं दूसरी ओर इस फिल्म की मुख्या अभिनेत्री दिव्या भी सुर्खियों में है…कहते हैं कि बेटी का दर्द बेटी ही समझ पाती है और यकीन मानिए दिव्या ने पर्दे पर बिहार में बेटियों के साथ हुए अत्याचार को जीवंत कर दिया है…
नफीसा में दिव्या ने न सिर्फ दमदार अभिनय का परिचय दिया है बल्कि बेटियों के दर्द को अपना दर्द भी समझा है…तभी तो बिहार से दूर मुंबई की फिल्मी दुनिया में रहकर भी उन्होंने अत्याचार की उस काली रात में हुई बर्बरता को पर्दे के जरिये खुद पर झेला और रो पड़ीं…दिव्या कहती हैं कि जब वो इस किरदार को निभा रही थीं तो वो इस कदर डूब गई कि उन्हें ऐसा लगने लगा मानो खुद की आपबीती हो…फिलहाल दिव्या ने भी आवाज उठाया है और बताया है कि बिहार में हुई इस घटना की सच्चाई सबके सामने लाने के लिए जो बन पड़ेगा वो करेंगी…लेकिन हर हाल में गुनहगारों को सजा मिलनी चाहिए…कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दो चार लोगों को भीतर ठेल क्या उन बेटियों को इंसाफ दिलाया जा सका, तो जवाब है नहीं…
लेकिन अब पर्दे पर न सिर्फ नफीसा के जरिये कुमार नीरज लोगों के बीच रियल स्टोरी की रियल कहानी लेकर आ रहे हैं बल्कि बेटियों के हक और हकूक की आवाज भी उठाने लगे हैं…जानकारी के लिए आपको ये भी बता दें कि बालिका गृह कांड पर आधारित बॉलीवुड फिल्म नफीसा की शूटिंग खत्म हो चुकी है और जल्द ही बड़े पर्दे पर आपको वो दिखेगा जो अब तक किसी ने दिखाने की हिम्मत नहीं की…एक दो लोगों ने साहस किया भी तो वो या तो कहानी से कोसों दूर रहे या फिर उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं रहा कि वाकई में हुआ क्या था, बस कहानी लिख डाली और सिनेमा बना लिया…पर कुमार की फिल्म में ऐसा नहीं है…इस फिल्म के पीछे सालों की मेहनत और सच्चाई को दिखाने की जिद ने ही कुमार नीरज को 5 साल परिवार से दूर रखा…बहरहाल इस फिल्म के आने का सभी को इंतजार है और दिव्या के अभिनय का भी…